11 जून को केंद्र सरकार ने उपेंद्र द्विवेदी को सेना का अगल प्रमुख बनाने का फैसला लिया है. वो 30 जून 2024 को अपना पदभार संभालेंगे. उनकी जिम्मेदारी आर्मी चीफ के रूप में होगी. ऐसे में कई लोगों को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के बीच का अंतर नहीं पता होगा. तो चलिए आज इन दोनों पदों के बीच के अंतर को जान लेते हैं.


चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ क्या है?


चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) समग्र रूप से सेना की कमान, नियंत्रण और प्रशासन के लिए उत्तरदायी होता है. सेना में हो रहे बदलावों और कार्यों को इन्हें ही देखना होता है. वहीं सेना में आने वाली परेशानियों को भी यही संभालते हैं.


भारत के थलसेनाध्यक्ष (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफभारत की थलसेना के सेनापति होते हैं. इस पद पर अमूमन जनरल पद के अधिकारी होते हैं. वर्तमान में जनरल मनोज पांडे इस पद पर आसीन हैं. 30 जून से ये जिम्मेदारी उपेंद्र द्विवेदी संभालेंगे. उपेंद्र द्विवेदी 40 सालों से सेना में हैं और विभिन्न कमांड, स्टाफ, अनुदेशात्मक और विदेशी नियुक्तियों में काम किया है. उनकी कमान नियुक्तियों में रेजिमेंट (18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स), ब्रिगेड (26 सेक्टर असम राइफल्स), डीआईजी, असम राइफल्स (पूर्व) और 9 कोर की कमान शामिल है.


क्या होता है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ?


इसे बनाने की सिफारिश वर्ष 2001 में मंत्रियों के एक समूह ने की थी, जिसे कारगिल समीक्षा समिति (1999) की रिपोर्ट का अध्ययन करने का काम भी सौंपा गया था.  जनरल बिपिन रावत देश के पहले CDS थे, उन्हें 31 दिसंबर 2019 को नियुक्त किया गया था,


क्या होती है जिम्मेदारी?


CDS ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटीके स्थायी अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है जिसमें तीनों सेवाओं के प्रमुख भी सदस्य होते हैं. किसी भी चीफ स्टाफ ऑफ डिफेंस का मुख्य कार्य भारतीय सेना की त्रि-सेवाओं के बीच ज्यादा से ज्यादा परिचालन तालमेल को बढ़ावा देना और किसी भी तरह के विरोधाभास को कम करना होता है. साथ ही सीडीएस रक्षा मंत्रालय में नए सैन्य मामलों के विभाग का प्रमुख भी होता है. सेना के तीनों अंगों के मामले में सीडीएस रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहकार के रूप में काम करते हैं. सीडीएस को तीनों सेना प्रमुखों को आदेश देने का भी अधिकार होता है. हालांकि उन्हें सेना की किसी भी कमांड का अधिकार नहीं होता है.                                           


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