Indian Railway: भारतीय रेलवे देश में यातायात का एक सस्ता और सुलभ साधन है. देश में ज्यादातर लोग सफर करने के लिए रेलवे पर ही निर्भर हैं. यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क भी है. जिसको लेकर लोगों के मन अक्सर कई तरह की जिज्ञासाएं रहती हैं. अक्सर लोग इनके बारे में बातें करते भी दिखते हैं. कई बार लोगों को कुछ चीजों के बारे में पूरी या सही जाकारी नहीं होती है. जिसको लेकर उनमें एक कन्फ्यूजन बना रहता है. ऐसी ही एक कन्फ्यूजन है रेलवे लाइन और रेलवे ट्रैक को लेकर. आमतौर पर लोग समझ लेते हैं कि रेलवे लाइन और ट्रैक एक ही चीज के नाम हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है. दरअसल, रेलवे लाइन और रेलवे ट्रैक दोंनों एक ही सिक्के के 2 पहलू की तरह हैं. लेकिन इनके बीच अंतर होता है. आइए इनके बारे में समझते हैं. 


दोनों के बीच ये है अंतर


दरअसल, रेलवे लाइन, ट्रैक का आधार होती है. अगर इसको समझने ने लिए सरकारी लहजे में कहा जाए कि दिल्ली से चेन्नई के बीच एक नई रेल लाइन बनेगी और इस लाइन पर ट्रैक बिछाने का काम दो महीने बाद शुरू होगा. आप देख सकते हैं कि ऊपर कही गई एक ही बात में दोनों चीजों के बीच का अंतर साफ समझ आ रहा है. जिस तरह गणित में किसी लाइन का मतलब दो बिंदुओं के बीच की दूरी से होता है. वैसे ही रेलवे लाइन एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट, यानी दिल्ली से चेन्नई के बीच दूरी है जिस पर ट्रैक बिछेगा. रेलवे ट्रैक का मतलब रेल लाइन पर बिछी पटरी, बैलैस्ट (पत्थर) और स्लीपर से होता हैं. 


रेलवे में कितने तरह की लाइनें होती हैं?


इसके अलावा, रेलवे में कुल चार तरह की लाइनें होती हैं. जिनमें मेन लाइन के अलावा, ब्रांच लाइन ट्रंक लाइन और एक लूप लाइन भी होती है. हालांकि, लूप लाइन का काम सिर्फ रेलवे स्टेशन के आसपास ही होता है. इन लाइनों के आधार पर ही ट्रेनों की रफ्तार की सीमा तय की जाती है. 


रेल की पटरी पर क्यो नहीं लगता जंग?


ट्रेन की पटरी का हर तरह के मौसम से सीधा आमना-सामना होता है. तब भी आपने देखा होगा कि इनपर जंग नहीं लगता है. जबकि, लोहे का कोई और टुकड़ा अगर कुछ दिन खुले में पड़ा रह जाए तो उसपर जंग लग जायेगा. दरअसल, रेल की पटरी लोहे से नहीं, बल्कि स्टील से बनी होती है. यह एक खास तरह का स्टील होता है. जिसपर नमी और ऑक्सीजन का कोई असर नहीं होता है.


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