रेलवे की छोटी और बड़ी लाइन में क्या है अंतर, दोनों पटरियों के बीच कितनी होती है दूरी
भारत में रेलवे ट्रांसपोर्ट का सबसे बड़ा साधन है.रेलवे के जरिए हर दिन लाखों एक जगह से दूसरी जगह तक का सफर करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि छोटी और बड़ी लाइन में क्या अंतर होता है.
भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. भारत में करोड़ों लोग रेलवे से यात्रा करते हैं. भारत में रेलवे ट्रांसपोर्ट का सबसे बड़ा साधन है. इसके जरिए कम दाम में हर रोज लाखों लोग एक जगह से दूसरी जगह तक का सफर करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटे लाइन और बड़े लाइन में क्या अंतर होता है. आज हम आपको बताएंगे कि रेलवे के छोटे और बड़े लाइन में क्या अंतर है.
रेलवे
भारतीय रेलवे के जरिए हर दिन लाखों यात्री सफर करते हैं. लेकिन रेलवे में यात्रा करन के दौरान आपने छोटी और बड़ी लाइन के बारे में जरूर सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेलवे की छोटी और बड़ी लाइन में क्या अंतर है.
भारतीय रेलवे की पटरियां
बता दें कि भारतीय रेलवे में तीन अलग-अलग प्रकार की पटरियां हैं. इसमें बड़ी लाइन (Broad guage) 1.67 मीटर 5 फुट 6 इंच की होती है. वहीं छोटी लाइन 1.00 मीटर 3 फुट सवा तीन इंच, संकरी लाइन (Narrow guage)76.2 सेमी दो फुट 6 इंच की होती है. इनमें से बड़ी लाइन की पटरियों का संजाल भारत के अधिकांश हिस्सों में फैला हुआ है.
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ब्रॉड गेज
ब्रॉड गेज को वाइड गेज या बड़ी लाइन भी कहा जाता है. इन रेलवे गेजों में दो पटरियों के बीच की दूरी 1676 मिमी (5 फीट 6 इंच) होती है. स्टेंडर्ड गेज(1,435 मिमी (4 फीट 8½ इंच)) से अधिक चौड़े किसी भी गेज को ब्रॉड गेज कहा जाता है. बता दें कि भारत की पहली रेलवे लाइन 1853 में बोरी बंदर (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) से ठाणे तक एक ब्रॉड गेज लाइन थी. ब्रॉड गेज रेलवे का उपयोग बंदरगाहों पर क्रेन आदि के लिए भी किया जाता है.
इसके अलावा स्टैंडर्ड रेलवे गेज में दोनों पटरियों के बीच की दूरी 1435 मिमी (4 फीट 8½ इंच) होती है. भारत में Standard Gauge का उपयोग केवल मेट्रो, मोनोरेल और ट्राम जैसी शहरी रेल प्रणालियों के लिए किया जाता है. 2010 तक भारत में एकमात्र Standard Gauge लाइन कोलकाता (कलकत्ता) ट्राम प्रणाली थी. इसके अलावा मीटर गेज में दोनों पटरियों के बीच की दूरी 1,000 मिमी (3 फीट 3/8 इंच) होती है.
नैरो गेज
छोटी लाइन को नैरो गेज या छोटी लाइन कहा जाता है. नैरो-गेज रेलवे का वह रेलवे ट्रैक है, जिसमें दो पटरियों के बीच की दूरी 2 फीट 6 इंच (762 मिमी) और 2 फीट (610 मिमी) होती है. 2015 में 1,500 किमी नैरो गेज रेल मार्ग था, जो कुल भारतीय रेल नेटवर्क का लगभग 2% माना जाता है. अब अधिकांश छोटी-छोटी लाइनों को बड़ी लाइनों में बदल दिया गया है.
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