प्रेग्नेंसी किसी महिला के जीवन को पूरी तरह से बदल देता है. ये बदलाव न सिर्फ मानसिक तौर पर होते हैं, बल्कि महिला के शरीर में भी होते हैं. चलिए इस आर्टिकल में बताते हैं कि जब कोई महिला सामन्य रूप से प्रेग्नेंट होती है या उसके गर्भ में ट्विन्स होते हैं तो उसके शरीर में कितना बदलाव होता है.


ट्विन्स प्रेग्नेंसी और सामान्य प्रेग्नेंसी में अंतर


जब महिला के गर्भ में जुड़वा बच्चे होते हैं तो सामान्य तौर पर उसका पेट सामान्य प्रेग्नेंसी की तुलना में अधिक निकलता है. इसका मुख्य कारण यह है कि जुड़वा बच्चों के लिए गर्भाशय में अधिक जगह की जरूरत होती है, जिससे पेट का आकार भी बड़ा हो जाता है. दरअसल, जुड़वा बच्चों के साथ गर्भाशय का आकार सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि दो बच्चों को बढ़ने और विकसित होने के लिए अधिक स्थान की जरूरत होती है.


ये अंतर भी होता है


जुड़वा बच्चों के कारण महिला का वजन भी सामान्य गर्भावस्था की तुलना में ज्यादा बढ़ जाता है. इसके अलावा ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय में एमनियोटिक फ्लुइड भी सामान्य प्रेग्नेंसी की तुलना में बढ़ जाता है. वहीं जुड़वा गर्भावस्था में पेट का बढ़ना जल्दी शुरू हो सकता है और महिला को पीठ में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और अन्य शारीरिक असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है.


शरीर के वजन में भी अंतर होता है


ट्विन्स प्रेग्नेंसी में महिला का वजन सामान्य गर्भावस्था की तुलना में अधिक बढ़ता है. इसे ऐसे समझिए कि ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान औसतन एक महिला का वजन 15 से 20 किलो तक बढ़ जाता है, जबकि सामान्य गर्भावस्था में यह 11 से 15 किलो के बीच ही बढ़ता है. वजन बढ़ने के अलावा ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को अपने आहार और पोषण का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, ताकि बच्चों और मां दोनों की सेहत बनी रहे.


प्रेग्नेंसी के टाइम पर भी पड़ता है असर


ट्विन्स प्रेग्नेंसी आमतौर पर 37 सप्ताह के आसपास पूरी होती है. जबकि, सामान्य गर्भावस्था में यह समय 40 सप्ताह का होता है. यानी जुड़वा बच्चों का जन्म अक्सर समय से पहले हो जाता है, इसलिए डॉक्टर ट्विन्स प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं की निगरानी ज्यादा बारीकी से करते हैं और जरूरत पड़ने पर समय से पहले प्रसव कराने की योजना बनाते हैं.


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