सांसद और विधायक की सैलरी में कितना होता है अंतर, जानें चुनाव जीतने वाले एमपी पर क्या फर्क पड़ेगा?
5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद जो नेता सांसद से विधायक बने हैं, उनको सांसद के तौर पर जो सुविधाएं मिल रही थीं, विधायक बनने के बाद इसमें कितनी कटौती होगी? आइए जानते हैं विस्तार से।
देश के सांसद और विधायकों की सैलरी कितनी है? यह सवाल आपके भी मन में कई बार आता होगा. आज हम आपको बताएंगे कि सांसद और विधायकों की सैलरी में कितना अंतर होता है. दरअसल, संसद के सदस्यों को मिलने वाली सैलरी और सुविधाएं संसद सदस्य अधिनियम, 1954 के तहत दी जाती हैं. अगर सांसद इस्तीफा देकर विधायक बनते हैं तो सांसद के तौर पर मिलने वाले वेतन, भत्ते और सुविधाओं में कटौती हो जाती है.
सांसद की सुविधाएं
भत्ते और पेंशन (संशोधन) अधिनियम, 2010 के अनुसार, संसद के सदस्यों को हर महीने 50,000 रुपये सैलरी मिलती है. इसके अलावा मेंबर ऑफ पार्लियामेंट को कई तरह के भत्ते और लाभ दिए जाते हैं. इन सांसदों को हर महीने निर्वाचन क्षेत्र भत्ता (Constituency Allowance) भी दिया जाता है, जो 45,000 रुपये होता है.
संसद के हर सदस्य को सदन के सत्र में बैठने और सदन के किसी भी काम के लिए यात्रा के लिए 16 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से भत्ता दिया जाता है. सांसदों को रेलवे से मुफ्त में यात्रा करने के लिए पास भी दिया जाता है. इस पास में ट्रेन की फर्स्ट क्लास एसी की सीट मिल सकती है. काम के सिलसिले में विदेश यात्रा करने पर भी सांसद को भत्ता दिया जाता है. अधिनियम के अनुसार, सदस्य को 60 हजार रुपये हर महीने कार्यालय व्यय भत्ता मिलता है.
विधायकों की सुविधाएं
अगर कोई सांसद विधायक बनता है तो संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम की धारा 8कक के हिसाब से किसी भी पूर्व संसद सदस्य को रेल में फ्री यात्रा करवाई जाती है. साथ ही, केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत पूर्व सांसदों को भी वर्तमान संसद की तरह सुविधाएं मिलती हैं.
सांसदों की तरह विधायकों को भी अच्छी सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन ये सुविधाएं अलग-अलग राज्यों में अलग अलग होती है. छत्तीसगढ़ टॉप 5 राज्यों में शामिल है, जो विधायकों को सबसे ज्यादा वेतन देता है. यहां विधायक की सैलरी 1.60 लाख रुपये महीना है. साथ ही, 15000 रुपये की चिकित्सीय सुविधा और चार लाख रुपये हवाई और रेल यात्रा के लिए भी दिए जाते हैं. राजस्थान में विधायक को 40 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन के तौर पर मिलते हैं. इसके अलावा 70 हजार रुपये प्रतिमाह कॉन्स्टिट्यूएंसी अलाउंस के तौर पर दिया जाते हैं.