हमारे देश में लोग आम बोलचाल की भाषा में कई ऐसे शब्दोें का इस्तेमाल करते हैैं जो हिंदी के नहीं बल्कि अरबी, इंग्लिश और फारसी के होते हैं. कई बार तो किसी शब्द को असल में हिंदी में क्या कहते हैं ये भी नहीं पता होता. ये फारसी, अंग्रेजी और अरबी के शब्द कब हमारी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन गए हमें पता भी नहीं चला. ऐसा ही एक शब्द है अमरूद. जी हां, जिस अमरूद को आप हिंदी शब्द समझते हैं असल में वो एक फारसी शब्द है. इसका असल हिंदी शब्द तो शायद आपने सुना भी न हो.
कैसे भारत आया अमरूद और इसका फारसी नाम?
अमरूद को कई लोग जामफल तो कई लोग अपनी स्थानिय भाषा में कुछ अलग नाम लेते हैं. अमरूद एक फारसी शब्द है. दरअसल उस समय व्यापार के लिए पुर्तगाली व्यापारियों का भारत आना होता रहता था. इसी दौरान किसी के द्वारा अमरूद पुर्तगाल से भारत लाया गया था, क्योंकि उस दौरान देश में फारसी भाषा का बहुत चलन था और लोग फारसी शब्द बोलना ज्यादा पसंद करते थे, इसी दौरान फारसी शब्द अमरूद को भी अपना लिया गया और आम बोलचाल में लोग इसी शब्द का इस्तेमाल करने लगे. उसके बाद से अबतक इस फारसी शब्द अमरूद का ही इस्तेमाल किया जाता है.
क्या है अमरूद का हिंदी नाम
अमरूद का हिंदी नाम सफरी और लताम कहा जाता है. जिसे शायद कई लोगों ने सुना भी न हो. भारत में अमरूद शब्द का इस्तेमाल लगभग 16वीं शताब्दी से किया जा रहा है. बता दें हमारे देश में अमरूद की प्रसिद्ध किस्में इलाहाबादी सफेदा, लाल गूदेवाला, चित्तीदार, करेला, बेदाना तथा अमरूद सेब हैं. इसका वैज्ञानिक नाम पीसिडियम ग्वाजावा है और ये मायर्टेसी परिवार से संबंधित है.