हज की यात्रा सोमवार यानी 26 जून से शुरू हो गई है. इस यात्रा के दौरान पूरी दुनिया से लाखों मुसलमान सऊदी अरब के मक्का शहर पहुंच रहे हैं. हालांकि, इसी यात्रा के दौरान एक चीज होती है जिसे शैतान को पत्थर मारना कहते हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको इसी के बारे में बताएंगे. इसके साथ ही इस आर्टिकल में आपको ये भी बताएंगे कि हज यात्रा के नियम क्या होते हैं.
शैतान को पत्थर मारने वाली कहानी क्या है?
हज के दौरान शैतान को पत्थर मारने वाली प्रक्रिया हज के तीसरे दिन की जाती है. इसी दिन बकरीद भी होती है. बकरीद के दिन हज पर गए यात्री कुर्बानी से पहले मीना शहर जाते हैं और वहीं शैतान को तीन बार पत्थर मारते हैं. हज यात्री शैतान को जो पत्थर मारते हैं वो मीना शहर के तीन अलग अलग जगहों पर बने तीन अलग अलग स्तंभों पर मारते हैं. इनमें पहला स्तंभ है जमराहे उकवा, दूसरा है जमराहे वुस्ता और तीसरा स्तंभ है जमराहे उला.
शैतान को पत्थर मारने की वजह क्या है?
इस्लाम में माना जाता है कि जिन तीन जगहों पर हज यात्री पत्थर मारते हैं, वहां पर कभी हजरत इब्राहीम ने शैतान को तब पत्थर मारे थे, जब शैतान उन्हें उस वक्त रोकने की कोशिश करता है जब वह अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे होते हैं. हाजी इन खंभों को शैतान का प्रतीक मानते हैं और इन पर पत्थर मारते हैं. पहले दिन हाजी सिर्फ बड़े स्तंभ पर ही पत्थर मारते हैं. इसके बाद अगले दिनों में पत्थर मारने रस्म दो बार और होती है.
हज यात्रा के नियम क्या-क्या हैं?
हज यात्रा के दौरान यात्रियों को कई नियमों का सख्ती से पालन करना होता है. इस यात्रा में शामिल होने के लिए सबसे पहला नियम है यात्री का मुसलमान होना. दूसरा होता है कि इस यात्रा के दौरान यात्रियों को एहराम पहनना होता है. वहीं अगर महिलाएं इस यात्रा में शामिल हो रही हैं तो उनका सिर से पैर तक ढके रहना आनिवार्य है.
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