Indian Railway: रेलवे में बने नम्बर और प्रतीक कई जानकारी बताते हैं. भारतीय रेलवे बहुत बड़ा नेटवर्क है, जिसमें रोजाना 13 हजार के करीब ट्रेनों का संचालन होता है. ऐसे में, व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने और जानकारी लिखने के लिए रेलवे कुछ विशेष तरीके अपनाता है. रेलवे उसके लिए एक तरह की कोडिंग का इस्तेमाल करता है. यानी रेलवे में लिखे नम्बरों ओर सिंबल्स में क्या जानकारी छिपी है, उसे रेलवे ही समझ सकता है. आपने देखा होगा कि ट्रेन के डिब्बे पर बड़े आकार में एक 5 अंकों का नंबर लिखा होता है. यह भी उसी कोडिंग प्रणाली का हिस्सा है. यह एक यूनिक कोड होता है. जिसका अपना एक मतलब होता है.
क्या है इस कोड का मतलब?
ट्रेन के कोच पर लिखे पांच अंकों के नंबर में कई जानकारियां कोड के रूप में अंकित होती है. पहले दो अंक बताते हैं कि कोच किस साल में बनाया गया है. उदाहरण के लिए अगर किसी कोच पर 06071 लिखा हुआ है, तो इसका मतलब है कि उस कोच का निर्माण 2006 में हुआ था. 06 के बाद लिखे अगले तीन नम्बर बताते हैं कि वह कोच स्लीपर है या एसी. 06071 से समझें तो 071 का मलतब होता है कि यह एक एसी कोच है.
नंबर से पता लगाएं कोच की फैसिलिटीज
अगर कोच पर लिखे आखिरी तीन नम्बर 1 से 200 के बीच में हैं, तो इसका मतलब है कि वह एक एसी कोच है. वहीं, 200 से 400 के नीच के नम्बर स्लीपर कोच के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. अगर कोच पर 99312 नम्बर लिखा है कि तो इसके आखिरी तीन नम्बर 312 बताते हैं कि यह एक स्लीपर कोच है. इसी प्रकार अगर आखिरी तीन नम्बर 400 से 600 के बीच हैं, तो वह जनरल कोच होता है.
बाकी के लिए इस्तेमाल होते हैं ये नंबर
इसी प्रकार 600 से 700 के बीच के नंबर चेयरकार के लिए तय किए गए हैं. चेयर कार कोच में बैठने के लिए प्री-रिजर्वेशन कराना जरूरी होता है. इसी तरह 700 से 800 के बीच वाले नम्बर सामान ले जाने वाले या बैगेज कोच के लिए निर्धारित किए गए है. अगर किसी कोच के बाहर 09711 लिखा है, इसमें आखिरी तीन नम्बर 700 से 800 के बीच आते हैं. इसलिए यह एक बैगेज कोच होगा.
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