Divorce: शादी के कितने दिन बाद तलाक ले सकते हैं पति पत्नी? बहुत कम लोग जानते हैं ये फैक्ट
Divorce: शादी के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि शादी के कितने दिन बाद लीगल तरीके से पति पत्नी तलाक ले सकते हैं. यहां जानिए.
Divorce: शादी एक बेहद ही खूबसूरत एहसास है. इसके जरिए दो लोग एक खूबसूरत बंधन में बंधते हैं. शादी के बाद दो व्यक्ति एक साथ जिंदगी गुजारने लगते हैं. इसके साथ ही दो व्यक्तियों का मिलन होता है. तो वहीं तलाक के जरिए दो व्यक्तियों के बीच अलगाव होता है. दरअसल, शादी के बाद कई बार पति पत्नी के बीच वैचारिक मतभेद होने लगते हैं. रोज-रोज झगड़े बढ़ने लगते हैं. पति पत्नी के बीच आपस में नहीं बनती है. ये झगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि बात तलाक तक आ पहुंचती है.
अगर पति पत्नी इस रिश्ते से खुश नहीं हैं, तो वह तलाक ले सकते हैं. कानून में तलाक का प्रावधान है. इसके जरिए पति और पत्नी कानूनी तरीका से अलग हो सकते हैं. शादी के बाद कई सारी बातें होती है जिससे पति और पत्नी एक दूसरे से अलग होना चाहते हैं. ऐसे में यह जरूरी नहीं है कि दोनों केवल झगड़े की वजह से ही अलग हो. ऐसे मामले में वह दोनों आपसी सहमति से भी एक दूसरे से अलग हो सकते हैं.
शादी के कितने दिन बाद तलाक ले सकते हैं
कानून के जरिए पति और पत्नी एक दूसरे से तलाक ले सकते हैं. लेकिन सवाल ये हैं कि कोई शादी के 1 महीने बाद ही तलाक लेना चाहता हो तो क्या होगा. ऐसे में पति पत्नी को तलाक लेने के लिए कम से कम 1 साल इंतजार करना पड़ेगा या कोई और प्रावधान है. दरअसल, अब अगर शादी के बाद पति पत्नी की आपस में नहीं बन रही है तो वो शादी के एक हफ्ते बाद ही तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं और अलग अलग रह सकते हैं. हालांकि, अदालत तलाक देने से पहले दोनों पक्षों को 6 महीने का वक्त देती है, ताकि अगर वो सुलह करना चाहें तो कर लें.
अलग रहने के लिए कैसे करें आवेदन
आपको बता दें कि तलाक और न्यायिक अलगाव दोनों ही हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत आते हैं. लेकिन दोनों के बारे में अलग-अलग धाराओं में प्रावधान किया गया है. तलाक की बात धारा 13 में बताई गई है तो वहीं धारा 10 में न्यायिक अलगाव को लेकर नियम बताए गए हैं. जो शादीशुदा जोड़े विवाह के एक साल के अंदर अलग होना चाहते हैं. वह कानून का दरवाजा जरूर खटखटा सकते हैं. वह अलगाव के लिए कोर्ट जा सकते हैं. जिसके बाद कोर्ट दोनों ही पक्षों को अलग रहने की इजाजत दे देती है ताकि दोनों अपने विवाह के बारे में अंतिम बार सोच सकें और बेहतर फैसला कर सकें.
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