राजधानी दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद देश के सबसे बड़े मस्जिदों में से एक है. इस मस्जिद में हर रोज सैकड़ों लोग नमाज अदा करने आते हैं. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि जामा मस्जिद का असली नाम जामा मस्जिद नहीं है. आज हम आपको बताएंगे कि जामा मस्जिद का असली नाम क्या है.
कितनी पुरानी है ये मस्जिद
जानकारी के मुताबिक साल 1644 में दिल्ली के जामा मस्जिद के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था, जो 12 साल बाद यानी 1656 में बनकर तैयार हुआ था. इस मस्जिद को मुगल सम्राट शाहजहां ने बनवाया था. वहीं इसका उद्घाटन वर्तमान के उज्बेकिस्तान के इमाम सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी ने किया था.
कितना आया था खर्च
इतिहासकार बताते हैं कि जामा मस्जिद को करीब 5 हजार से ज्यादा मजदूरों ने मिलकर बनाया था. उस दौरान इस मस्जिद को बनवाने में करीब दस लाख रुपये का खर्चा आया था. इस मस्जिद में प्रवेश के लिए 3 बड़े-बड़े दरवाजे हैं. इसमें 40 मीटर यानि कि लगभग 131.2 फीट ऊंचाई के 2 मीनारें हैं. वहीं यहां के बरामदे में लगभग 25,000 लोग एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं.
दुनियाभर के मुसलमानों के लिए खास है जामा मस्जिद
बता दें कि इबादत के नजरिए से दिल्ली की जामा मस्जिद दुनियाभर के मुसलमानों के लिए ख़ास महत्व रखती है. इसके अलावा अगर हम पर्यटन के नजरिए से बात करे तो भी जामा मस्जिद दुनियाभर के सैलानियों के लिए बेहद खास जगह है. क्योंकि जामा मस्जिद अपने इतिहास और वास्तुशिल्प को लेकर खुद में एक जरूरी विषय है. जानकारी के मुताबिक भारत आने वाले विदेशी सैलानी खासकर मुसलमान दिल्ली की जामा मस्जिद जरूर जाते हैं.
जामा मस्जिद का असली नाम
दरअसल जामा मस्जिद दुनियाभर में जामा मस्जिद के नाम से मशहूर है. लेकिन इस मस्जिद का असली मस्जिद-ए-जहां नुमा है. जिसका अर्थ ‘मस्जिद जो पूरी दुनिया का नजरिया दे’ होता है.
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