हमें जब किसी चीज पर निशाना लगाना होता है तो हम अक्सर अपनी एक आंख बंद कर लेते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम ऐसा क्यों करते हैं. दरअसल, इसके पीछे शरीर का एक विज्ञान काम करता है. चलिए आपको इस खास विज्ञान के बारे में बताते हैं.


इसके पीछे है डॉमिनेन्ट आंखों का कमाल


दरअसल, हमारी दोनों आंखों में एक आंख डॉमिनेन्ट आई होती है. यानी इस आंख से दूसरी वाली आंख के मुकाबले दिमाग को ज्यादा बेहतर तरीके से संदेश भेजा जाता है. इसके अलावा डॉमिनेन्ट आई का फोकस भी दूसरी वाली आंख के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है.


यही वजह है कि निशाना लगाते वक्त हमारा दिमाग डॉमिनेन्ट आई पर ज्यादा भरोसा दिखाता है और उसे खुली रखता है. जबकि, दूसरी वाली आंख को आप बिना कहे बंद कर लेते हैं. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारा दिमाग हमसे ऐसा करने के लिए कहता है.


अगर दोनों आंख खोल के निशाना लगाएं तो


ऐसा नहीं है कि आप दोनों आंख खोलकर निशाना नहीं लगा सकते. लेकिन ऐसा करना बेहद मुश्किल होता है और संभव है कि इस तरह से निशाना लगाने पर आप कई बार फेल हो जाएं. दरअसल, हमारी दोनों आंखों के बीच एक तय दूरी है, इसलिए निशाना लगाते वक्त अगर दोनों आंखें खुली रहेंगी तो लक्ष्य पर फोकस नहीं हो पाएगा और आपका निशाना चूक जाएगा.


कौन सी आंख बंद करके लगता है सबसे अच्छा निशाना


हर इंसान की डॉमिनेन्ट आई अलग-अलग होती है. हालांकि, ज्यादातर लोगों की डॉमिनेन्ट आई बाईं ओर की आंख होती है. इसलिए निशाना लगाते वक्त हम दाहिनी आंख को बंद कर लेते हैं. लेकिन, ऐसा नहीं है कि सबकी डॉमिनेन्ट आंख बाईं ओर की हो, जो लोग लेफ्टी होते हैं, कई बार उनकी डॉमिनेन्ट आई दाहिनी ओर होती है. इसके अलावा निशाना लगाते वक्त आपके कंधों और हाथों के मूवमेंट का भी बड़ा रोल होता है. अगर आपके हाथ स्थिर हैं और आपके कंधे निशाना लगाते वक्त झुक नहीं रहे हैं तो आपका निशाना बेहतर होगा.


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