हिंदू धर्म में भगवान शिव को कैलाश पर्वत का स्वामी बताया गया है. मान्यता है कि भगवान शिव अपने पूरे परिवार और दूसरे देवी देवताओं के साथ इस पर्वत पर निवास करते हैं. पौराणिक कथाओं में भी इसका जिक्र मिलता है. जिसमें बताया गया है कि भगवान शिव से इस पर्वत को कई असुरों ने छीनने की कोशिश की है. हालाकि भगवान शिव के सामने उनकी मंशा कभी पूरी नहीं हो सकी. कहा जाता है कि आज तक कोई पर्वतारोही भी इस पर्वत पर चढ़ाई नहीं कर पाया है, लेकिन हर किसी के मन में ये सवाल जन्म लेता है कि आखिर ऐसा क्यों है? तो चलिए जान लेते हैं.


क्यों कोई नहीं कर पाया कैलाश पर्वत की चढ़ाई?


हिंदू धार्मिक पुराणों में कैलाश पर्वत का बहुत महत्व बताया गया है. इस स्थान को भगवान शिव का निवास माना जाता है. हालांकि सोचने वाली बात ये है कि जब दुनिया की सबसे ऊंची चोटी जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है, उसे सात हजार से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं तो फि कैलाश पर्वत पर क्यों आज तक कोई चढ़ नहीं पाया? जबकि ऊंचाई के मामले में ये माउंट एवरेस्ट से 2000 मीटर कम यानी 6638 मीटर ही है.


बता दें बातें ऐसी भी सुनने में आती है कि कई पर्वतारोहियों ने इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन हर किसी को यही कहना होता था कि यहां रहना मानो असंभव है. दरअसल कहा जाता है कि इस पर्वत पर बाल और नाखुन तेजी से बढ़ने लगते हैं. इसके अलावा कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव भी है.


व्यक्ति हो जाता है दिशाहीन


कुछ लोग ये मानते हैं कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं और इसीलिए किसी जीवित इंसान का उस ऊंचाई तक पहुंचना संभव नहीं है. कहा जाता है कि व्यक्ति मरने के बाद या जिसने कभी भी कोई पाप न किया हो, केवल वही कैलाश फतह कर सकता है. ऐसा भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है. ऐसे में बिना दिशा के चढ़ाई करना मतलब मौत को दावत देने जैसा है, इसलिए कोई भी इंसान आज तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया है. जो भी व्यक्ति इस पहाड़ को चढ़ने के लिए निकला है वो या तो मारा गया है या फिर बिना चढ़े ही वापस लौट आया है.


तेजी से बढ़ने लगते हैं शरीर के नाखून और बाल


चीन सरकार के कहने पर कुछ पर्वतारोहियों का दल कैलाश पर चढ़ने की कोशिशें कर चुका है, लेकिन उन्हें सफलता तो मिली नहीं, बल्कि दुनियाभर के विरोध का सामना अलग करना पड़ा. ऐसे में हारकर चीनी सरकार को इस पर चढ़ाई करने से रोक लगानी पड़ी.


लोगों का मानना है कि जो भी इस पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश करता है, वो आगे नहीं चढ़ पाता, उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है. जिनने इस पर्वत को चढ़ने की नाकाम कोशिश की उन पर्वतारोहियों का मानना है कि यहां की हवा में कुछ अलग बात है. वहां शरीर के बाल और नाखून 2 दिन में ही इतने बढ़ जाते हैं, जितने 2 हफ्ते में बढ़ने चाहिए. शरीर मुरझाने लगता है और चेहरे पर बुढ़ापा नजर आने लगता है


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