कनाडा के राष्ट्रीय झंडे के पीछे क्या है कहानी? इससे जुड़ा है करोड़पति बनने का राज
कनाडा की खासियतों पर नजर डालें तो एक चीज हमेशा नजर आती हैं कि उसके राष्ट्रीय ध्वज पर एक पत्ती बनी हुई है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर इस पत्ती के पीछे की कहानी क्या है.
इस समय भारत और कनाडा के रिश्ते सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. भारत से बड़ी संख्या में सिख वहां पहुंचते हैं. भारतीय सिखों की बढ़ती आबादी के चलते उसे मिनी पंजाब भी कहा जाता है. कनाडा के झंडे पर नजर डालें तो उसमें एक पत्ती नजर आती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर इस पत्ती के पीछे क्या राज है और इसे कहा क्या जाता है.
कनाडा का राष्ट्रीय ध्वज से क्यों जुड़ी हुई है एक पत्ती?
कनाडा के राष्ट्रीय ध्वज में एक पत्ती नजर आती है, इस पत्ती को मैपल लीफ कहा जाता है. ये कनाडा के लिए कितनी खास है ये उसके झंडे में ही नजर आता है. इसकी वजह बेहद खास है. दरअसल ये पत्ती कनाडा के लिए बेहद खास है. कनाडा की आधिकारिक वेबसाइट की मानें तो कनाडा में मैपल के पेड़ की 100 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं
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क्या है कनाडा के झंडे का इतिहास?
कनाडा का वर्तमान झंडा नया है. इसे 1965 में अपनाया गया था. इससे पहले कनाडा ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था और इसका झंडा ब्रिटिश यूनियन जैक पर आधारित था. कनाडा के लोगों ने एक ऐसा राष्ट्रीय ध्वज चाहते थे जो उनकी स्वतंत्रता और पहचान को बताए.
मेपल का पत्ता कनाडा के लिए एक खास प्रतीक है. यह कनाडा के जंगलों को रिप्रेजेंट करता है और देश की प्राकृतिक सुंदरता को बताता है. मेपल का पेड़ कनाडा के लिए बहुत जरुरी है. इसके पत्तों से मेपल का शरबत बनाया जाता है, जो कनाडा की एक विशेषता है.
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कना़डा के झंडे और करोड़ति बनने का राज?
गौरतलब है कि मैपल सिरप की डिमांड पूरी दुनिया में कनाडा सबसे आगे है. दुनियाभर में मैपल सिरप की जितनी भी मांग है उसकी 83.2 प्रतिशत पूर्ति कनाडा ही करता है. इस सीरप का इस्तेमाल बेकरी प्रोडक्ट, सलाद, औटमील सहीत कई तरह की चीजों में होता है. बता दें इस सीरप का इस्तेमाल शक्कर के विकल्प के रूप में किया जाता है. इसकी डिमांड विदेशों में बहुत है. एक चम्मच मैपल सीरप में 52 कैलोरी होती है और कैल्शियम, पोटेशियम और आयरन जैसे तत्तव होत होते हैं. यही वजह है कि इसकी मिठास के लिए इसे बहुत ही सुरक्षित माना जाता है.
यहां के स्थानीय लोगों ने मैपल से सिरप को तैयार करने के सही तरीका सीखा और फिर व्यापार इसी से व्यापार करना शुरू कर दिया. 1700-1800 के दशक की शुरुआत में यहां बसने वाले लोगों के बीच मेपल सिरप का उत्पादन करने का चलन तेजी से बढ़ गया था. दुनियाभर में इसकी मांग बढ़ने के साथ इसके कारोबार भी तेजी से बढ़ा. इस तरह मैपल का पेड़ कनाडा और यहां के लोगों के लिए अलादीन के चिराग जैसा बन गया.
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