हिंदू धर्म में जब किसी की मौत होती है तो उसकी बॉडी का अंतिम संस्कार मृत शरीर को जला कर किया जाता है. इसे दाह संस्कार भी कहते हैं. शरीर के जलने के बाद जो राख बचती है, उसका कुछ अंश लेकर उसे गंगा में प्रवाहित किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब एक इंसान की मौत होती है और उसके शरीर को जलाया जाता है तब अंत में कितनी राख बचती है. चलिए आपको बताते हैं.


शरीर पूरी तरह राख नहीं होता


आपको बता दें, जब किसी इंसान के शरीर का दाह संस्कार होता है तो उसके मृत शरीर को जला दिया जाता है. हालांकि, शरीर पूरी तरह कभी नहीं जलता. यहां तक कि शवदाह गृहों में लगे आधुनिक मशीनों में भी शरीर पूरी तरह नहीं जलता. शरीर के कुछ पार्ट अधजले बच ही जाते हैं. इन्हीं चीजों को उठाकर अस्थि के रूप में गंगा में विसर्जित किया जाता है. हालांकि, अब सवाल उठता है कि अगर किसी इंसान का शरीर पूरी तरह जल जाए तब उसके शरीर के वजन के बराबर क्या उसकी राख का भी वजन होगा. चलिए जानते हैं.


शरीर के राख का वजन


वैज्ञानिकों की मानें तो इंसान के मृत शरीर के जलने के बाद जो राख बचती है वो शरीर के वजन का लगभग 1 से 3.5 प्रतिशत के आसपास होती है. यानी अगर किसी डेड बॉडी का वजन 80 किलो है तो उसके जलने के बाद जो राख बचेगी वो लगभग 2.8 किलोग्राम के आसपास होगी. दरअसल, जब आदमी अपने पूरे शरीर में होता है तो उसके शरीर के भीतर ढेर सारा पानी और तरह-तरह की चीजें होती हैं. जलने के बाद ये सारी चीजें खत्म हो जाती हैं और पूरा शरीर राख के शूक्ष्म कणों में बदल जाता है. यही वजह है कि 80 किलो का मृत शरीर अंत में 2.8 किलोग्राम के राख में तब्दील हो जाता है.


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