किसी भी धर्म में शिक्षा को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है. चाहे वो विज्ञान की शिक्षा हो या आध्यात्म की. यहूदी धर्म में भी ऐसा ही होता है. यहूदी लोग अपने बच्चों को विज्ञान की शिक्षा के साथ साथ अपने धर्म की भी शिक्षा देते हैं. ये हर यहूदी परिवार में होता है. जैसे ही बच्चा पढ़ने योग्य होता है, उसे यहूदी धर्म से जुड़ी हर चीज के बारे में बताया जाता है. इसी बीच आता है तोरा. जिसे हर यहूदी पढ़ता है और समझता है. कहते हैं कि इसे पढ़ने के बाद ही कोई यहूदी बच्चा सच में एक यहूदी बनता है.


यहूदियों की पवित्र किताब तोरा


तोरा एक पवित्र किताब या ग्रंथ है जिसे यहूदी लोग पूजते हैं. तोरा शब्द तोह-राह यानी सीख शब्द से बना है. हम जिस शब्द तोह-राह का इस्तेमाल कर रहे हैं, दरअसल, उसे बाइबल की पहली पांच किताबों को कहा जाता है. इन्हें ही पंचग्रंथ कहा जाता है. इनमें हैं- उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती और व्यवस्थाविवरण. कहा जाता है कि इस किताब को मूसा ने लिखा था. यही वजह है कि इसे मूसा के कानून का किताब भी कहा जाता है. कहते हैं कि दुनियाभर के यहूदी इस किताब के जरिए ही अपने ईश्वर को याद करते हैं. भारत के यहूदी भी इस किताब को बेहद पवित्र मानते हैं. किसी भी पवित्र कार्यक्रम में इस किताब कि उपस्थिति जरूर होती है.


क्या लिखा है इस किताब में


कहते हैं कि इस पवित्र किताब में लिखा है कि सृष्टि की शुरूआत से लेकर मूसा की मौत तक ईश्वर लोगों के साथ किस तरह पेश आया था. इसके साथ ही इसमें मूसा के कानून और नियमों को भी लिखा गया है, जिसे हर यहूदी मानता है. इस किसाब में यहूदियों की एक खास प्रार्थना शेमा भी लिखी हुई है. इस किताब में यहूदियों के ईश्वर यहोवा का नाम 1800 बार आता है.


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