Two Way Mirror: हमें अपने आस-पास कई तरह के कांच देखने को मिलते हैं. कुछ कांच रंग बिरंगे और डिजाइन वाले होते हैं तो कुछ कांच पारदर्शी होते हैं, जो घर के बर्तन, बोतल, खिड़की के ग्लास आदि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसी कांच से ही मिरर या आईना भी बनाया जाता है.
आईना भी दो तरह का होता है, पहला तो वही परंपरागत आईना जो शुरुआत से हम देखते आ रहे हैं. इसे वन वे मिरर कहते हैं. हमारे घरों में भी यही मिरर रहता है. दूसरे प्रकार के आईने को टू वे मिरर कहते हैं, यह एक तरफ से आपको आपकी शक्ल दिखा कर आईने का काम करता है, तो वहीं दूसरी ओर से एक सामान्य कांच जैसा दिखता है. इसमें दूसरी ओर से आर पार देखा जा सकता है. आइए जानते हैं ये मिरर वन वे मिरर से कैसे अलग होता है और कैसे इसमें एक और से आर पार दिखा जाता है?
कैसे बनता है आईना?
एक बड़े कांच को लेटा कर रोबोटिक सिस्टम की मदद से कन्वेयर बेल्ट तक पहुंचाया जाता है. इसके बाद पानी, गरम पानी या ऑक्साइड आदि से इस कांच की सफाई की जाती है. इसके बाद कांच पर सबसे पहले लिक्युफाइड टिन की कोटिंग की जाती है. इसी वजह से कांच पर सिल्वर आसानी से चिपक जाती है. फिर कुछ केमिकल्स के साथ इसपर सिल्वर को लिक्विड फोर्म में चढ़ाया जाता है. इसके बाद कांच की उम्र बढ़ाने के लिए इसपर कॉपर आदि की डबल कॉटिंग कर दी जाती है. फिर आइने को ड्रायर में 31 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है. फिर पीछे की तरफ एक पेंट करके उसे मशीनों के जरिए सुखाया जाता है.
टू वे मिरर क्या है?
टू वे मिरर शीशे का ऐसा टुकड़ा होता है जिस पर माइक्रो पेन नाम के पदार्थ की कोटिंग की जाती है. इस शीशे के सामने अगर आप ट्रीट (Treat) की हुई साइड (Side) खड़े होते हैं तो इसमें आप अपना प्रतिबिंब देख सकते हैं. वहीं, बिना ट्रीट की हुई साइड टिंटेड खिड़की की तरह होती है. एक सामान्य मिरर, कांच की एक चौथाई इंच (6 मिमी) मोटी परत होती है. इसके बाद चांदी की परत होती है जो लगभग 2 माइक्रोन मोटी होती है और इसके बाद काला रंग होता है. बाहर का प्रकाश कांच में जाता है और परावर्तित होकर वापस आ जाता है.
टू वे मिरर की पहचान करना
मॉल्स या होटल जैसी जगहों पर आजकल इन मिरर का गलत इस्तेमाल होने लगा है. ऐसे कई मामले आए जिनमें ट्रायल रूम या होटल रूम में टू वे मिरर पकड़े गए. ऐसे में आप ये कुछ टेस्ट करके पता लगा सकते हैं कि आप जिस आईने के सामने खड़े हैं कहीं वह टू वे मिरर तो नहीं.
फिंगर टेस्ट
इसके लिए अपनी उंगली को आईने पर रखें. अगर आपकी उंगली और उसकी इमेज के बीच में एक फासला है तो आईना सही है. लेकिन, अगर आपकी उंगली और उसकी इमेज एक दूसरे को छू रहे हैं तो तुरंत समझ लीजिए कि वह एक टू वे मिरर है.
फ्लैश लाइट टेस्ट
सामान्य आईने पर मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर देखेंगे तो लाइट रिफ्लेक्ट होगी. लेकिन, अगर 'टू वे मिरर' पर आप फ्लैश मरेंगे तो उसके आर पार भी देख सकते हैं.
नॉक-नॉक टेस्ट
आईने पर नॉक करने पर अगर आवाज सामान्य सी ठक-ठक आए तो आईना सही है, लेकिन अगर आवाज में थोड़ी भी गूंज आए तो समझ लीजिए आपको सतर्क होने की ज़रूरत है.
आईने में करीब से देखें
कई बार बेहद करीब से देखने पर 'टू वे मिरर' के पार भी दिखाई दे जाता है. ऐसे में ट्रायल रूम में लगे आईने को पास से देखने पर अगर आपको आर पार कुछ दिखे तो समझ लीजिए आप किसी साजिश में फंसे हुए हैं और तुरंत सतर्क हो जाएं.
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