क्या होता है ताजमहल में होने वाला उर्स, आखिर क्यों कोर्ट तक पहुंचा मामला
ताजमहल में होने वाले उर्स के आयोजन को लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने आगरा कोर्ट में याचिका दायर की है. आज हम आपको बताएंगे कि ताजमहल में होने वाला उर्स का आयोजन क्यों होता है.
ताजमहल में शहंशाह शाहजहां का 369वां उर्स मनाने को लेकर विवाद जारी है. दरअसल अखिल भारत हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने ताज महल में ‘उर्स’ के आयोजन पर रोक लगाने के लिए आगरा कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की अनुमति के बगैर इसका आयोजन किया जा रहा है.
क्या है मामला
बता दें कि मुगल बादशाह शाहजहां की पुण्यतिथि पर उर्स का आयोजन होता है. इस साल भी 369वां तीन दिवसीय उर्स 6 फरवरी से 8 फरवरी तक होने वाला है. उर्स के मौके पर शाहजहां और मुमताज की असली कब्र का रास्ता खोला जाता है. लेकिन अखिल भारत हिंदू महासभा ने उर्स के मौके पर लोगों को ताजमहल में मुफ्त एंट्री दिए जाने को रोकने के लिए कोर्ट से गुहार लगाई है. याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहर में धार्मिक काम नहीं किया जाना चाहिए.
ताजमहल में क्यों होता है उर्स?
मुगल साम्राज्य के पांचवे बादशाह शाहजहां की पुण्यतिथि पर ताजमहल में हर साल उर्स का तीन दिन का कार्यक्रम होता है. कहा जाता है कि शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में यमुना नदी के तट पर ताजमहल को बनवाया था. मुमताज की मौत 1631 में हुई थी, जिसके1632 से सफेद संगमरमर का खूबसूरत मकबरा बनाने का काम शुरू हुआ था. जिसे पूरा होने में लगभग 20 साल लग गए थे. 1666 में शाहजहां की मौत के बाद उनकी कब्र भी मुमताज की कब्र के पास ही दफन कर दिया गया था.
सभी लोगों के लिए खुलता है बंद तहखाना
ताजमहल में शाहजहां और मुमताज महल दोनों की कब्र मुख्य मकबरे में बने तहखाने में स्थित हैं. पूरे साल भर आम लोगों को इन कब्रों तक जाने की इजाजत नहीं होती है. लेकिन उर्स के अवसर पर शाहजहां और मुमताज की कब्र के तहखानों को सभी के लिए खोल दिया जाता है. इस दौरान पर्यटकों को असली कब्रों को देखने का मौका मिलता है. इस मौके पर घुस्ल अनुष्ठान के बाद, फातिहा, मीलाद-उन-नबी और मुशायरा का आयोजन किया जाता है.
ये भी पढ़ें: आपने भी खूब सुना होगा सूरजकुंड मेले का नाम, जानिए वहां क्या होता है खास