इजरायल द्वारा पिछले कुछ समय से गजा और लेबनान में सफेद फॉस्फोरस से हमला किया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत इसके इस्तेमाल को लेकर कड़े नियम कायदे हैं. इस मामले में इसराइली फौज का कहना है कि गजा और लेबनान में चरमपंथियों के खिलाफ इस विवादास्पद हथियार का इस्तेमाल कानूनी है, लेकिन सफेद फॉस्फोरस होता क्या है. चलिए जान लेते हैं.
क्या होता है सफेद फॉस्फोरस?
अब आप सोच रहे होंगे की आखिर सफेद फॉस्फोरस होता क्या है. तो बता दें कि ये एक जहरीली गैस है जो आंखों और फेफड़ों को नुक़सान पहुंचाती है, इससे तेज जलन हो सकती है. सफेद फॉस्फोरस की बात करें तो ये फॉस्फेट पत्थरों से बनाया गया एक कृत्रिम पदार्थ है. जो काफी ज्वलनशील होता है. यदि ये बाहार डाला जाए तो वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर ये जल उठता है.
वहींं जब ये ऑक्सीजन के संपर्क में आता है तो लगभग 815 डिग्री सेल्सियस तक का ताप पैदा कर सकता है. वहीं जब ये ज्वलनशील हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाए तो ये तेज गर्मी और आग पैदा करता है और उस समय तक जलता रहता है, जब तक कि खत्म न हो जाए. इसके लिए इसे बस ऑक्सीजन की जरूरत है.
ये वसा में काफी घुलनशील होती है, ऐसे में यदि ये किसी इंसान पर पड़े, तो बहुत तेज झुलसाता है. शरीर पर पड़ने पर ये मांस की परत जला देता है. जिसके बाद त्वचा से होते हुए खून के बहाव में मिलकर यह अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में ऑर्गन फेलियर की भी नौबत आ सकती है.
ये भी होते हैं नुकसान
यदि व्हाइट फॉस्फोरस का अंश बचा रह जाए, तो पट्टी हटाने के बाद भी हवा के संपर्क में आकर ये फिर से सुलग सकता है. इसके अलावा व्हाइट फॉस्फोरस के कारण मांसपेशियों के ऊत्तक भी प्रभावित हो सकते हैं. जिसके चलते पीड़ित विकलांग तक हो सकता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि फॉस्फोरस बमों की आग पानी से नहीं बुझती, बल्कि इसके लिए रेत छिड़कने जैसे तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं.
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