Zero Shadow Day: इस दिन नहीं बनती है किसी की परछाई! 4 महीने बाद ऐसा फिर होगा, जानिए क्यों गायब हो जाता है साया
जीरो शैडो डे खगोल की एक खास स्थिति होती है, जो 130 अक्षांश पर स्थित इलाकों में साल में दो बार बनती है. इस दिन हर वर्टिकल चीज की परछाई गायब हो जाती है. आइए जानते हैं अब फिर से ऐसा कब होगा?
Zero Shadow Day: कल दोपहर 12.17 बजे देश सहित दुनिया के कई हिस्सों में अचानक सब चीजों की परछाई दिखनी बंद हो गई. दरअसल, यह एक खास भौगोलिक घटना के कारण हुआ. जिसे जीरो शैडो डे कहा जाता है. 25 अप्रैल को 130 लेटीट्यूड पर स्थित सभी स्थानों पर यही हुआ. कुछ समय के लिए किसी भी वर्टीकल चीज या इंसानों की परछाईं ही बननी बंद हो गई. पृथ्वी पर कई घटनाएं कभी-कभी ही होती हैं. जैसे सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण. जीरो शैडो डे की घटना भी उन्हीं में से एक है. हालांकि, ऐसी स्थिति साल में दो बार बनती है.
क्या है जीरो शैडो डे?
कल सिर के ऊपर सूरज की पोजिशन इस तरह बनी कि लोगों को अपनी छाया भी दिखनी बंद हो गई. इसलिए इसे जीरो शैडो डे कहा जाता है. यह वो दिन होता है, जब दिन के एक खास समय पर सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर आ जाता है. जिस वजह से हमारी कोई परछाई नहीं बनती है. इसी वजह से इस स्थिति को जीरो शैडो कहा जाता है.
कहां जाती है परछाई?
ऐसा नहीं है कि इस दिन छाया बिल्कुल गायब ही हो जाती है. दरअसल, जब सूरज ठीक हमारे सर के ऊपर होता है, तो उसकी किरणे हम पर लंबवत पड़ती हैं. जिस वजह से हमारी जो परछाई होती है वो थोड़ा इधर-उधर न बनकर बिलकुल हमारे पैरों के नीचे बनती है. जिस वजह से सीधे खड़े रहने पर कोई परछाई दिखाई नहीं देती है.
सूर्य और पृथ्वी की स्थिति
यह विशेष स्थिति, पृथ्वी की घूमने की धुरी के झुकाव के कारण बनती है. पृथ्वी, सूर्य के परिक्रमा तल के लंबवत होने की बजाय उससे 23.5 डिग्री तक झुकी होती है. इसी वजह से हर दिन दोपहर में सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर नहीं आ पाता है. लेकिन, कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के स्थान पर पृथ्वी पर साल में दो बार ऐसा होता है, जब पृथ्वी पर सूरज की रोशनी एकदम संभवत पड़ती है. यानी कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के स्थानों पर साल में दो बार जीरो शैडो डे आता है.
अगला जीरो शैडो दिवस कब होगा?
कल यानी 25 अप्रैल को यह कारनामा बेंगलुरु सहित दुनिया के कई और हिस्सों में हुआ. गौरतलब है कि जीरो शैडो की स्थिति हर जगह नहीं बनती है. जीरो शैडो डे ट्रॉपिक्स के बीच के स्थानों तक ही सीमित है. यह सिर्फ कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच में बनती है. बेंगलुरु में अगला ऐसा दिन 18 अगस्त को होगा.
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