Human Health And Frog : पृथ्वी के जैवमंडल के सभी हिस्से किसी ना किसी तरह से पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाने में अपना योगदान देते हैं और इसमें असंतुलन का प्रभाव इंसान की सेहत पर जरूर पड़ता है. मानव स्वास्थ्य (Human Health) पर हुए शोधों में पाया गया है कि दुनिया में जब भी किसी इलाके में मेंढक जैसे उभयचरों (Amphibians) की संख्या में कमी देखने को मिलती है तो इसका सीधा असर लोगों पर भी पड़ता है. उस इलाके में मलेरिया (Malaria) जैसी बीमारियों की मामले बढ़ने लगते हैं. शोधकर्ताओं ने मध्य अमेरिका में इस तरह के अध्ययन से पाया है कि मेंढकों के कम होने से मच्छरों की संख्या में इजाफा होता है जिससे उनसे फैलने वाली बीमारी मलेरिया भी ज्यादा तेजी से फैलती है.
रोगाणु बना रहा उभयचरों को शिकार
1980 के दशक में पारिस्थितकी विज्ञानियों ने मध्य अमेरिकी देशों कोस्टा रिका और पनामा में उभयचरों (Amphibians) की संख्या में नाटकीय कमी देखी. पृथ्वी के इस हिस्से में मेंढक और सैलेमेंडर एक संक्रामक फफूंद रोगाणु का शिकार हो रहे थे. बैट्राकोकिट्रियम डेंड्रोबाटिडिस नाम के इस रोगाणु की वजह से ये प्रजातियां इतनी तेज गति से खत्म हो रही थीं कि शोधकर्ताओं की चिंता बढ़ने लगी उन्हें लगा कि कहीं यह स्थानीय महाविनाश की स्थिति तो नहीं बन रही है. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि बीडी नाम से प्रचलित इस रोगाणु ने अब तक का सबसे ज्यादा जैवविविधता हानि पहुंचाने का काम किया है.
एशिया में भी प्रभावित हुई है उभयाचारों की संख्या
इस बीमारी के कारण एशिया से लेकर दक्षिण अमेरिका तक 501 उभयचर प्रजातियों (Amphibians) की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली जिसमें से 90 प्रजातियां तो विलुप्त ही हो गई थीं. हालत यह हैं कि पृथ्वी पर अब उभयचरों पर सबसे ज्यादा विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है और इसकी वजह बहुत हद तक इस फफूंद का फैलना है. दरअसल, मेंढक (Frogs), सैलेमंडर सीधे तौर पर मच्छरों की जनसंख्या को प्रभावित करते हैं क्योंकि मच्छर (Mosquitoes) इन प्रजातियों का प्रमुख भोजन है. इसका साफ मतलब है यह है कि उभयचरों की संख्या उन जीवों की संख्या को भी प्रभावित करती है, जो घातक संक्रामक रोगाणुओं को फैलाने में वाहक हैं.
मलेरिया जैसी घातक बीमारी का पूर्वानुमान
शोधकर्ताओं की जानकारी के अनुसार, 1976 से 2016 के बीच उभयचरों के कम होने के ग्राफ और मलेरिया के मामलों के ग्राफ की तुलना करने पर शोधकर्ताओं ने एक खास तरह का पैटर्न पाया जिससे मलेरिया फैलने का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है.
पिछले कुछ दिनों से बीडी रोगाणु दुनिया भर में संक्रमण (Infection) फैला रहा है. इससे ना केवल उभयचरों (Amphibians)के अस्तित्व को खतरा मंडरा रहा है बल्कि, इंसानी सेहत (Human Health) भी इस बड़े खतरे की चपेट में आ सकती है. इस अध्ययन ने खुलासा किया है कि मेंढक और इंसानी सेहत दोनों साथ-साथ चलती है.
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