देशभर में मौसम बदलने के साथ ही लोगों के घरों के एसी-पंखा की स्पीड भी बढ़ती-घटती रहती है. जैसे अभी ठंड पड़ने के कारण राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत में अधिकांश लोंगों के घरों में एसी और पंखा बंद हो चुका है. वहीं मुंबई-पुणे के लोग पंख का सहारा लेते हैं. लेकिन अब सवाल ये है क पंखा पांच की जगह एक पर चलाने का क्या फायदा होता है? क्या ऐसा करने से बिजली बिल कम आता है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
 


बिजली बचाना लक्ष्य


आज के वक्त हर इंसान अपने घर में बिजली की बचत करने के लिए अलग-अलग प्लान बना रहा है. लोगों की कोशिश होती है कि घरों में कम से कम बिजली के सामान का इस्तेमाल हो. इसके लिए कई वैज्ञानिक तरीकों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. जैसे बिजली खपत कम करने के लिए एसी चलाते हैं, तो उसे एक निश्चित टेम्प्रेचर पर रखने से बिजली की बचत होती है. 


पंखे की स्पीड


बिजली का बिल कम करने के लिए कई लोग पंखे की स्पीड को कम करते हैं और रेग्युलेटर के जरिए बिजली खपत पर रोक लगाते हैं. क्योंकि लोगों का मानना होता है कि अगर पंखे को कम स्पीड  पर चलाया जाएगा तो बिजली की खपत कम हो सकती है. वहीं कई लोगों का तर्क ये भी होता है कि ऐसा करने से कुछ नहीं होता है और पंखा किस भी स्पीड पर चलाओ. 


क्या कहता है साइंस 


बता दें कि बिजली का संबंध उसकी स्पीड से होता है. लेकिन ये रेग्युलेटर पर निर्भर करता है. जी हां, रेग्युलेटर के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पंखे की स्पीड के जरिए बिजली के खर्चे को कम ज्यादा किया जा सकता है या नहीं. हालांकि इसमें बिजली रेग्युलेटर का बड़ा असर पड़ता है. कई रेग्युलेटर ऐसे भी हैं, जिनका बिजली खपत पर कोई असर नहीं पड़ता है.


स्पीड से बचती है बिजली


पंखे की स्पीड कम अधिक करने से बिजली बचती है. जा हां लेकिन ये सभी रेग्युलेटर के साथ नहीं होता है. हालांकि अब हर की इलेक्ट्रॉनिक रेग्युलेटर ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है. माना जाता है कि इनसे बिजली बचाई जा सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक रेग्युलेटर का इस्तेमाल करके पंखे की टॉप स्पीड और उसकी सबसे कम स्पीड के बीच बिजली का फर्क देखा जा सकता है. 


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