2050 में ऐसी होगी दुनिया! आने वाले समय में होंगे ये बदलाव, बच्चों पर पड़ेगा इनका बुरा असर!
Climate Change: मौसम के पैटर्न में होने वाले बदलावा आने वाले समय में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. इसका सबसे ज्यादा बुरा असर बच्चों पर पड़ेगा.
हमारे आसपास के वातावरण में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं. पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन में नतीजे झेल रही है और आने वाले समय ये और बढ़ने वाला है. वैज्ञानिक पहले ही वैश्विक तापमान में हुई वृद्धि को लेकर चेतावनी दे चुके हैं. इससे ग्लेशियरों के पिघले की दर बढ़ गई है, जिसके कारण समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है. प्रदूषण अगर इसी तरह जारी रहा तो आने वाले दिनों में बढ़ती गर्मी के कई बुरे नतीजों को दुनिया को झेलना होगा.
पृथ्वी के तापमान में वृद्धि
गर्मी के असर से तनाव और प्री टर्म बर्थ बढ़ेंगे व हमारे सोचने की क्षमता घट जाएगी. 1850 से लेकर 1900 के बीच का समय प्री-इंडस्ट्रियल युग के नाम से जाना जाता है. तब से 2020 तक पृथ्वी की सतह के तापमान में औसतन 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है. यह जीवाश्म ईंधन इस्तेमाल करने पर बनी कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव का असर है. पृथ्वी के तापमान में इतनी वृद्धि पिछले 2000 से अधिक वर्षों में सबसे ज्यादा है.
बढ़ती गर्मी बढ़ाएगी मुश्किलें
भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ती गर्मी से तनाव बढ़ेगा, जिससे हार्ट से जुड़ी समस्याओं और स्ट्रोक भी इजाफा होगा. प्री-टर्म जन्म और शिशु मृत्यु दर में वृद्धि भी इसका एक परिणाम होगा. इससे हमारे सोचने की क्षमता भी प्रभावित होगी. भीषण बारिश की घटनाएं भी बढ़ेंगी, जिससे हर साल ढाई लाख मौतें बढ़ जाएंगी और करीब डेढ़ करोड़ लोग प्रभावित होंगे.
बदल जाएगा वर्षा का पैटर्न
बढ़ी हुई गर्मी के कारण वाष्पीकरण की क्रिया बढ़ जायेगी, जिसके कारण बारिश भी ज्यादा होगी. बारिश का पैटर्न भी बदल जाएगा. कहीं बहुत भारी वर्षा होगी तो कहीं बहुत कम. ग्रीनपीस ईस्ट एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2030 तक समुद्र जलस्तर में होने वाली वृद्धि के कारण सात एशियाई शहरों में कम से कम डेढ़ करोड़ लोग और 1829 वर्ग किलोमीटर भूमि प्रभावित हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 से लेकर 2050 के बीच कई प्रकार की बीमारियों से लोग ग्रसित होंगे. जिनके कारण अतिरिक्त मौतें भी बढ़ जाएंगी.
समुद्र हो जायेगा अम्लीय
वातावरण में बढ़ी कार्बन डाई ऑक्साइड और ग्रीन हाउस गैसें समुद्र में भी घुल रही हैं. जिसके कारण वो अम्लीय हो रहे हैं. अम्लीयता बढ़ने के कारण कई समुद्री जीवों का अस्तित्व भी खतरे में है.
बच्चों पर क्या असर होगा?
साल 2040 तक हर 4 में से 1 बच्चा पानी की कमी वाले क्षेत्रों में होगा. वहीं, 2050 तक जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाले संकट के कारण 2.4 करोड़ बच्चे कुपोषित होंगे और 14.3 करोड़ लोग प्रवासी हो सकते हैं. 2030 से 2050 के बीच बच्चों में दस्त, मलेरिया, गर्मी और कुपोषण जैसी बीमारियां बढ़ेंगी. इतने बदलाव से 3.8 करोड़ बच्चों की शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ेगा.