आज इंसान चांद तक पहुंच चुका है. लेकिन चांद और अंतरिक्ष को लेकर अभी भी बहुत सारे ऐसे रहस्य है, जिसको लेकर वैज्ञानिक लगातर रिसर्च कर रहे हैं. अंतरिक्ष तो तो वैसे भी रहस्यों से भरी दुनिया कहा जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर चांद गायब हो जाएगा तो क्या होगा? क्या चांद के नहीं रहने पर धरती पर जीवन भी खत्म हो जाएगा. आज हम आपको इन सभी सवालों के जुड़ा जवाब देंगे. 


चांद


बता दें कि चंद्रमा 4.5 अरब वर्षों से अधिक समय से पृथ्वी के साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबित चंद्रमा का जन्म मंगल के आकार की एक वस्तु के पृथ्वी से टकराने के कारण हुआ है. इससे मलबा अंतरिक्ष में बिखर गया और अंतत एक साथ आकर वह बना है, जिसे अब हम चंद्रमा के रूप में पहचानते हैं. आज के वक्त मनुष्य चंद्रमा की उपस्थिति का इतना आदी हो गया है कि हमारे लिए यह कल्पना करना मुश्किल है कि अगर यह अचानक गायब हो जाएगा तो पृथ्वी पर जीवन कैसा होगा. चंद्रमा को लेकर अब धरती पर धार्मिक मान्याएं भी बहुत सारी हैं. 


चांद का गायब होना


स्पेस की रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के आर्टेमिस 3 चंद्रमा मिशन के परियोजना वैज्ञानिक नोआ पेट्रो ने कहा कि बहुत कम खगोलीय घटनाओं के कारण चंद्रमा गायब हो सकता है. पेट्रो ने कहा कि मुझे लगता है कि एकमात्र खगोलीय घटना है, जो चंद्रमा को खो सकती है. वह चंद्रमा पर एक बड़ा प्रभाव होगा जो इसे तोड़ देगा. उस बड़े प्रभाव के समान, जिसके बारे में माना जाता है कि चंद्रमा का निर्माण हुआ है.


क्या सच में गायब हो सकता चांद


उन्होंने कहा कि हालांकि ऐसी घटना घटित होने की संभावना बहुत कम है. क्योंकि सौर मंडल की अधिकांश बड़ी वस्तुएं सूर्य और ग्रहों द्वारा अवशोषित कर ली गई हैं. पेट्रो के मुताबिक एकमात्र अन्य संभावना यह होगी कि एक दुष्ट ग्रह अंतरतारकीय अंतरिक्ष से सौर मंडल में प्रवेश करेगा, लेकिन इसके चंद्रमा से टकराने की संभावना कम है.


पृथ्वी का क्या होगा?


अब सवाल ये है कि चांद के गायब होने पर पृथ्वी का क्या होगा. बता दें कि यदि चंद्रमा गायब होता है, तो बहुत सी घटनाएं जिनका मनुष्य आदी है वह बदल जाएगी. स्पेस की रिपोर्ट के मुताबिक समुद्री ज्वार, तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और समुद्री जीवन पर प्रभाव विनाशकारी होगा. इसके अतिरिक्त, तटीय किनारों पर ज्वारीय कटाव बहुत कम हो जाएगा. इसका ग्रह के चारों ओर गर्मी और ऊर्जा के फैलाव पर भारी प्रभाव पड़ेगा, तापमान और जलवायु एक ऐसी जगह में बदल जाएगी, जिसे मनुष्य शायद ही पहचान पाएगा. 


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