स्वच्छ भारत का सपना कई लोग देखते हैं. हमारे देश में हर बार शहरों को स्वच्छता की रैंकिंग दी जाती है. फिलहाल मध्यप्रदेश में मौजूद शहर इंदौर को देश के सबसे स्वच्छ शहर की लिस्ट में पहला स्थान मिलता आया है. ऐसे में कभी आपने कल्पना की है कि यदि पूरा शहर स्वच्छ हो जाए तो क्या होगा? इससे कितने लोगों की जान बच जाएगी? चलिए इन सवालों के जवाब जानते हैं.


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हर साल प्रदूषण से कितने लोगों की जान जाती है?


लैंसेट कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में प्रदूषण की वजह से दुनियाभर में करीब 90 लाख लोगों की मौत हुई थी. वहीं WHO के मुताबिक, पर्यावरण विषाक्त पदार्थों की वजह से हर साल दुनिया भर में करीब 1.26 करोड़ मौतें होती हैं. गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, हर साल वायु प्रदूषण की वजह से करीब 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इसके अलावा हेल्थ इफ़ेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) के मुताबिक, साल 2021 में वायु प्रदूषण की वजह से ही 81 लाख लोगों की मौत हो गई थी. इन डेटा से साफ होता है कि प्रदूषण कितना हानिकारक है.


पानी, हवा और मिट्टी का प्रदूषण चुपचाप हमारे दिल को खोखला कर रहा है. एक अध्ययन के मुताबिक, दुनियाभर में प्रदूषण के कारण हर साल 90 लाख अकाल मौतें हो जाती है. ऐसे में देखा जाए तो यदि पूरा देश स्वच्छ हो जाता है और पूरा देश प्रदूषण मुक्त हो जाए तो लगभग 90 लाख लोगों की जान हर साल बच सकती है.


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स्वास्थ्य में सुधार


देश के प्रदूषण मुक्त होना न सिर्फ जान बच सकती है बल्कि कई लोगों को बड़ी-बड़ी बीमारियों से भी मुक्ति मिल सकती है. दरअसल स्वच्छता का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से होता है. एक स्वच्छ वातावरण में रहने से हम कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं, जैसे डायरिया, हैजा, टाइफाइड आदि. इसके अलावा स्वच्छता के अभाव में बच्चों में संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है. पूरा देश स्वच्छ हो जाए तो भारत में बाल मृत्यु दर में काफी कमी आएगी. इसके अलावा जब लोग स्वस्थ रहेंगे तो वो ज्यादा उत्पादक होंगे और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान देंगे. इससे देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा.                                 


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