आज देश के प्रधानमंत्री तक पहुंचने के लिए आपको कई सिक्योरिटी लेवल्स को पार करना होता है. बिना सिक्योरिटी की इजाजत के देश के पीएम के पास कोई भटक भी नहीं सकता. यहां तक कि जब कभी पीएम का काफिला सड़क पर निकलता है तो ट्रैफिक को क्लीयर करा दिया जाता है और लोगों को रोक दिया जाता है. हालांकि, हम जिस वक्त की बात कर रहे हैं उस समय ऐसा नहीं था. चलिए, आज आपको इसी से जुड़ी एक घटना बताते हैं, जब देश के पीएम का एक महिला ने गिरहबान पकड़ लिया था.
कौन था वह प्रधानमंत्री
हम जिस प्रधानमंत्री की बात कर रहे हैं, उनका नाम जवाहर लाल नेहरू था. देश के पहले पीएम का 14 नवंबर को जन्मदिन है. उन्हें बच्चों से बहुत प्रेम था, यही वजह है कि उन्हें चाचा नेहरू भी कहा जाता है. इसके अलावा प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन के ही दिन पूरे देश में चिल्ड्रेन्स डे मानाया जाता है. खैर, आज हम इस पर नहीं बल्कि उस घटना पर बात करेंगे, जब एक महिला ने देश के प्रधानमंत्री का गिरहबान संसद परिसर में पकड़ लिया था.
क्या थी घटना
देश अंग्रेजों से आजाद हो चुका था और जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. उन दिनों जवाहर लाल नेहरू और राममनोर लोहिया के बीच संबंध थोड़े तल्ख थे. हालांकि, ये तल्खी नेहरू की ओर से कम राममनोर लोहिया की ओर से ज्यादा थी. साल 1963 में उत्तर प्रदेश की फ़रुख़ाबाद लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीतकर लोहिया पहली बार लोकसभा पहुंचे थे. यहां से उन्होंने नेहरू को लेकर कई तल्ख टिप्पणियां कीं.
बस्तर गैंगरेप मामला हो या अक्साई चीन का मामला लोहिया ने हर मोर्चे पर नेहरू को घेरा. ऐसे ही एक दिन जवाहर लाल नेहरू जब, जब संसद पहुंचे तो वहां मौजूद एक बुजुर्ग महिला ने उनका गिरेबान पकड़ लिया और कहा कि भारत आजाद हो गया, तुम देश के प्रधानमंत्री बन गए, मुझ बुढ़िया को क्या मिला? कहते हैं कि बुजुर्ग महिला ने ऐसा, राममनोहर लोहिया के कहने पर किया था.
पीएम नेहरू का जवाब ये था
बुजुर्ग महिला ने जब प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से ये कहा तो इस पर पीएम नेहरू का जवाब था, "आपको ये मिला है कि आप देश के प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ कर खड़ी हैं." किसी पीएम का इस तरह की घटना पर इतना शालीन जवाब बड़ी बात थी. इस बात की चर्चा पूरे देश में हुई.
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