Haldwani Violence: कब और कौन दे सकता है गोली मारने का आदेश, IPC की कौन-सी धारा होती है लागू?
हल्द्वानी में भड़की हिंसा को देखते हुए शूट एट साइट के आदेश दे दिए गए हैं तो चलिए जानते हैं कि ये आदेश होता क्या है और किसके द्वारा दिया जा सकता है.
हल्द्वानी में 8 फरवरी को अवैद मदरसा और नमाज स्थल के ध्वस्तीकरण भड़की हिंसा के बाद भीड़ ने पुलिस की गाड़ियां जला दीं और पुलिस की टीम पर पथराव किया. जिसके बाद सीएम पुष्कर धामी ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद इसे लेकर काफी विवाद हो रहा है. तो चलिए जानतेे हैे कि आखिर किसे शूट एट साइट का आदेश देने का अधिकार है और किन परिस्थितियों में ये आदेश जारी किया जा सकता है.
क्यो होता है शूट एट साइट ऑर्डर?
सबसेे पहले जान लेते हैं कि शूट एट साइट ऑर्डर होता क्या है तो बता दें कि इसका हिंदी में मतलब होता है देखते ही गोली मारने का आदेश. शूट एट साइट का आदेश भारततीय दंड संहिता (IPC) की धारा 144 के तहत राज्य सरकार जारी कर सकती है. ये आदेश संवेदनशील इलाकों में भड़की हिंसा को रोकने के लिए और उपद्रवियों को नियंत्रित करनेे के लिए दिया जाता है.
कौन दे सकता है शूट एट साइट का आदेश
जैसा कि हमने बताया कि शूट एट साइट का आदेश धारा 144 के तहत राज्य की सरकार द्वारा दिया जा सकता है. इसका उपयोग ज्यादातर पुलिस को अपनी आत्मरक्षा के लिए करना होता है. बता दें पुलिस को किसी की जान लेने का अधिकार नहीं होता बल्कि विपत्ति की स्थिति में उपद्रवी को पैर में गोली मारने का आदेश दिया जाता है.
क्या है मामला?
हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में 8 फरवरी गुरुवार को नगर निगम ने जेसीबी मशीन लगाकर अवैध मदरसा एवं नमाज स्थल को ध्वस्त कर दिया. इस दौरान जैसे ही प्रशासन का बुलडोजर अवैध मस्जिद और मदरसे पर चला उसी समय वहां तनाव का माहौल बन गया और आक्रोशित भीड़ ने वहां कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. साथ ही जेसीबी को भी तोड़ दिया. इसके बाद जब क्षेत्र में हिंसा की स्थिति को देखी गई तो प्रशासन द्वारा कर्फ्यू लगा दिया गया और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. राज्य के सीएम पुष्कर धामी ने भी राजधानी देहरादून में उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर हालात की समीक्षा की और अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के आदेश दिए हैं.
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