जब पटाखे जलाते हैं तो कभी कभी धुआं का छल्ला बन जाता है... कभी सोचा है ये क्यों बनता है?
भारत में खुशियां सेलिब्रेट करने के लिए लोग पटाखे छोड़ना पसंद करते हैं. क्या आपको पता है कि जब ऐसा किया जाता है तो आसमान में धुएं के छल्ले बनने लग जाते हैं. आइए इसके पीछे का कारण समझते हैं.
Firecrackers Ring of Smoke: पटाखे जलाने का क्रेज सिर्फ इंडिया में ही नहीं है. दुनिया के अलग-अलग देशों में पटाखे छोड़े जाते हैं. भारत की बात करें तो दिवाली का त्योहार हो या किसी खुशी को लेकर किया जाने वाला सेलिब्रेशन, कोई चुनाव जीत गया हो या इंडिया मैच जीत गई हो. कहीं भी कभी भी लोग सेलिब्रेट करने के लिए पटाखा छोड़ना शुरू कर देते हैं. एक बार जब पटाखे छोड़ने शुरू होते हैं तो आसमान में धुआं का छल्ला बनने लग जाता है. अब सवाल यह उठता है कि यह क्यों होता है? और इससे क्या पैदा होता है. तो आइए जानते हैं.
ऐसा क्यों होता है?
पटाखों को जलाते समय कभी-कभी धुआं का छल्ला बन जाता है, यह कुछ कारणों से होता है. जब पटाखे जलते हैं, तो उसमें जलने के दौरान उच्च तापमान उत्पन्न होता है. यह उच्च तापमान धुआं को तेजी से बढ़ाता है और धुआं का दबाव बढ़ जाता है. धुआं का दबाव बढ़ने पर, कभी-कभी धुआं में एक छल्ला उत्पन्न होती है जो धुआं की एक विशेष परिस्थिति के कारण बनती है. यह छल्ला धुआं के विभिन्न प्रकारों में होती है और जब पटाख जलता है, तो इसमें वायु के प्रवाह में भी बदलाव होता है, जिससे धुआं एक रिंग का आकार ले लेता है.
इन लोगों के लिए होता है खतरनाक
जब पटाखे जलते हैं, तो उनमें से कई तरह की जहरीली गैसें निकलती हैं. इनमें मुख्य रूप से सल्फर डाइ ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, हेवी मेटल्स सल्फर, लेड, क्रोमियम, कोबाल्ट और मरकरी मैग्निशियम हैं. इन गैसों के हवा में घुल जाने के कारण आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ होती है. पटाखों से निकलने वाले रसायन और विषाक्त पदार्थ, वायु की गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं. ये प्रदूषक विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों में श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं.
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