समाज का एक बड़ा हिस्सा आज भी समलैंगिकता को एक बीमारी के तौर पर देखता है. उसे लगता है कि शरीर में कुछ हॉर्मोनल्स बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से कोई व्यक्ति समलैंगिक हो जाता है. लेकिन क्या ऐसा सच में होता है? चलिए आज इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि कोई लड़का गे कब कहलाता है. जब वह लड़कों के प्रति आकर्षण महसूस करने लगता है या जब वह किसी के साथ रिश्ते में आ जाता है?


कोई लड़का गे कब कहलाता है?


यह एक बड़ा सवाल है. भारतीय समाज में अक्सर उन लड़कों को लोग मजाक-मजाक में गे की उपाधि दे देते हैं, जो लड़कियों की तरह हरकतें करते हैं. इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी लड़के की चाल लड़कियों जैसी है, उसकी आवाज़ पतली है या वो किसी लड़के के प्रति ज्यादा प्रेम दिखा रहा हो तो उसे गे की उपाधि दे दी जाती है. हालांकि, ये उपाधि मजाकिया होती है. इसे आधिकारिक तब तक नहीं माना जाता, जब तक कि लड़का खुद ये न कह दे कि वह गे है या फिर वह आधिकारिक तौर पर किसी सेम जेंडर वाले व्यक्ति के साथ रिश्ते में ना आ जाए.


किसी का पहनावा या बर्ताव उसकी सेक्शुअलिटी कैसे तय कर सकता है?


अगर किसी लड़की को लड़कों जैसे कपड़े पहनने पसंद हैं या फिर उसे लड़कों जैसी हेयरस्टाइल रखना पसंद है या उसका बर्ताव बिल्कुल रफ टफ है तो क्या आप उसे लेस्बियन कह देंगे? इस तरह की बातें कहने वाले लोग बेहद सतही मानसिकता के होते हैं. असलियत में देखा जाए तो किसी व्यक्ति की सेक्शुअलिटी तय करने का अधिकार सिर्फ उस व्यक्ति के अलावा किसी के पास नहीं होता.


ये कोई बीमारी नहीं


बीबीसी को दिए अपने एक इंटरव्यू में एलजीबीटी मामलों के जानकार डॉ. पल्लव पटनाकर कहते हैं कि जो लोग सोचते हैं कि समलैंगिकता एक बीमारी है, वे बिल्कुल गलत हैं. इस तरह की बातें करने वाले लोग एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन को आधार बनाकर ऐसी बातें करते हैं. वहीं, एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन्स का  किसी की सेक्शुअलिटी से कोई लेना-देना नहीं है.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट


इस संबंध में जब हमने प्रयागराज में अपनी क्लीनिक चलाने वाले साइकेट्रिस्ट डॉ. आलोक से बात की तो उन्होंने बताया कि छोटे शहरों में अक्सर मां-बाप और सगे संबंधियों को लगता है कि समलैंगिक होना एक बीमारी है, जिसे इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है. हालांकि, ऐसा नहीं है. लोगों को अब इसे एक्सेप्ट करने की जरूरत है. एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन्स को लेकर उन्होंने कहा कि ये महिलाओं और पुरुषों में पाया जाने वाला हॉर्मोन्स है. इसका कहीं से भी समलैंगिकता से कोई लेना देना नहीं है.


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