महाराष्ट्र के लोकप्रिय नेता बाबा सिद्दिकी की 12 अक्तूबर की रात गोली मार कर हत्या कर दी गई. पुलिस ने इस हत्या के आरोप में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है. अब एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है.


हालांकि, इस हत्या में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई या उसका गैंग सच में शामिल था या नहीं पुलिस इसकी जांच कर रही है. खैर, चलिए आज इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि किसी भी अपराधी को कब और किन परिस्थितियों में गैंगस्टर घोषित किया जाता है.


पहले समझिए गैंगस्टर होता क्या है


गैंगस्टर की परिभाषा आपको गैंगस्टर अधिनियम 1986 में मिल जाएगी. गैंगस्टर अधिनियम 1986 के अनुसार, एक या एक से अधिक व्यक्तियों का समूह जब किसी अपराध को करता है या किसी अपराध के जरिए अनुचित लाभ उठाता है तो वह गैंगस्टर कहलाता है. इसमें सिर्फ हत्या से जुड़े अपराध शामिल नहीं हैं, बल्कि कई और तरह का अपराध भी अगर इस तरह का कोई ग्रुप करता है तो उस पर गैंगस्टर अधिनियम 1986 के तहत कार्रवाई होती है.


किसी अपराधी को गैंगस्टर घोषित कौन करता है


किसी अपराधी को गैंगस्टर घोषित करने की एक पूरी प्रक्रिया है. कानून के मुताबिक, जब एक अपराधी गैंग के साथ अपराध करता है या अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग व्यक्तियों का सहारा लेकर अपराध करता है तो उस व्यक्ति को गैंगस्टर घोषित कर दिया जाता है. किसी अपराधी को गैंगस्टर घोषित करने से पहले अपराध से संबंधित थाने का प्रभारी एक चार्ट बनाता है, जिसे गैंग चार्ट कहा जाता है.


इस चार्ट में अपराधी और अपराध से जुड़ी सभी जानकारी होती है. इसके बाद थाना प्रभारी यानी एसएचओ अपने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने ये चार्ट पेश करता है. यहां से ये चार्ट एसपी के पास से होते हुए जिले के डीएम के पास पहुंचता है और फिर डीएम यानी डिस्टिक मजिस्ट्रेट इस चार्ट की जांच करने के बाद इसे मंजूरी दे देते हैं. डीएम की मंजूरी के बाद इस चार्ट में मौजूद सभी अपराधी गैंगस्टर घोषित हो जाते हैं.


गैंगस्टर एक्ट के तहत कितनी सजा होती है


गैंगस्टर एक्ट के तहत सजा का प्रावधान अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकता है, क्योंकि यह कानून राज्यों द्वारा लागू किया जाता है. हालांकि, आमतौर पर गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराधों के लिए अपराधी को 5 से 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है. वहीं कुछ मामलों में यह सजा आजीवन कारावास तक भी हो सकती है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो यूपी में गैंगस्टर एक्ट के तहत मिनिमम दो साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है.


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