आज के वक्त अधिकांश लोग लंबी दूरी का सफर फ्लाइट करना पसंद करते हैं. क्योंकि इससे समय की बचत होती है. लेकिन कई बार फ्लाइट में दुर्घटना होने की आशंका होती है. क्या ट्रेन की तरफ फ्लाइट में भी इमरजेंसी ब्रेक होता है क्या? आज हम आपको बताएंगे कि आखिर फ्लाइट में इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल कब किया जाता है. 


फ्लाइट में इमरजेंसी ब्रेक


सबसे पहले ये जानते हैं कि फ्लाइट का ब्रेकिंग सिस्टम किस तरीके से काम करता है. एक्सपर्ट के मुताबिक प्‍लेन की लैंडिंग स्‍पीड एयरक्राफ्ट के मेक पर निर्भर करता है. सामान्‍य समय में लैंडिंग से करीब पांच मिनट पहले तक किसी भी प्‍लेन की स्‍पीड करीब 380 किमी प्रति घंटा तक होती है. वहीं रनवे पर लैंडिंग के दौरान प्‍लेन की एवरेज स्‍पीड करीब 240 किमी प्रति घंटा से 270 किमी प्रति घंटा के बीच होती है. इस स्‍पीड में कोई भी प्‍लेन आसानी से रनवे पर सुरक्षित लैंडिंग कर सकता है.


वहीं 240 किमी प्रति घंटा से 270 किमी प्रति घंटा तक की स्‍पीड से रनवे पर लैंड होने वाले विमान को रोकने के लिए दो तरह के ब्रेकिंग सिस्‍टम काम करते हैं. पहले ब्रेकिंग सिस्‍टम का नाम थ्रस्ट रिवर्सल है. पायलट द्वारा थ्रस्‍ट रिवर्सल अप्‍लाई करते ही प्‍लेन के विंग्‍स में लगे फ्लैप खुल जाते हैं. वहीं इस ब्रेकिंग सिस्‍टम के जरिए विमान की स्‍पीड को कंट्रोल किया जाता है. वहीं विमान की स्‍पीड कंट्रोल होने के बाद पायलट पैडल ब्रेक के जरिए प्‍लेन को रोकता है.


इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्‍टम?


एक्सपर्ट के मुताबिक रनवे पर लैंडिंग के बाद सामान्‍यतय थ्रस्‍ट रिवर्सल ही अप्‍लाई किया जाता है, जिससे विमान की गति को नियंत्रित करके टैक्‍सी वे की तरफ मोड़ा जा सके. टैक्‍सी वे से पार्किंग वे या एयरोब्रिज तक पहुंचते-पहुंचते प्‍लेन की गति बेहद सीमित हो जाती है, जिससे पैडल ब्रेक के जरिए प्‍लेन निर्धारित स्‍थान पर रोक लिया जाता है. वहीं पैडल ब्रेक के काम नहीं करने की स्थिति में पायलट इमजेंसी ब्रेक का भी इस्‍तेमाल करते हैं.


जानकारी के मुताबिक इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्‍टम का बटन दबाते ही विमान के एयर टैंक, सोलनॉइड वाल्‍ब, फ्लो कंट्रोल वाल्‍व और पेनुमेटिक सिलेंडर एक्टिव हो जाते हैं. सॉलनॉइड वाल्‍व खुलते ही फ्लो कंट्रोल वॉल्‍ब के जरिए एयर कंप्रेस्‍ड की जाती है. एयर कंप्रेशन की वजह से पेनुमेटिक सिलेंडर पर दबाव प्‍लेन के टायर्स पर पड़ता है. इससे प्‍लेन को इमरजेंसी ब्रेक के जरिए रोक लिया जाता है. लेकिन लैंडिंग के ठीक बाद 240 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पर इमरजेंसी ब्रेक लगाना कई बार खतरनाक भी साबित हो सकता है.


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