दुनियाभर के अधिकांश देश भीषण गर्मी से परेशान हैं. जहां एक तरफ भारत के कई राज्यों में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच रहा है, वहीं सऊदी अरब के मक्का में भीषण गर्मी के कारण हज यात्रियों की मौत हो रही है. लेकिन ब्रिटेन ने सिर्फ 26 डिग्री तापमान पर ही हीटवेव की घोषणा कर दी. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कितने डिग्री तापमान पर हीटवेव की घोषणा होती है. आज हम आपको बताएंगे कि कोई भी राज्य और देश कब हीटवेव की घोषणा करता है. 


हीटवेव


 जानकारी के मुताबिक सभी देशों में हीटवेव की घोषणा को लेकर अपने मानक हैं. आसान भाषा में समझिए कि हीटवेव तब माना जाता है, जब किसी क्षेत्र का तापमान सामान्य औसत से अधिक हो जाता है. मौसम विभाग के मुताबिक जब मैदानी इलाके का अधिकतम तापमान 40 डिग्री पहुंच जाता है और पहाड़ी क्षेत्रों का टेम्प्रेचर 30 डिग्री तक चला जाता है, उस वक्त हीटवेव की घोषणा की जाती है. वहीं जब तापमान 47 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक जाता है, तो इसे खतरनाक लू कहा जाता है. 


हीटवेव के मानक


हर देश में हीटवेव का मानक अलग-अलग है. ब्रिटेन को अपनी ठंडक के लिए जाना जाता है. इसलिए यहां हीटवेव की घोषणा के मानक भी अलग हैं. ब्रिटेन के मौसम विभाग के मुताबिक यहां हीटवेव की घोषणा तब की जाती है, जब किसी किसी जगह का तापमान लगातार तीन दिन तक वहां के अधिकतम तापमान के लेवल को पार कर जाता है. बता दें कि कई यूरोपीय देशों में भी ये तरीका अपनाया जाता है. भारत में हीटवेव के लिए तापमान का मानक यूरोप से बहुत अलग हैं.


गर्मी से परेशान सभी देश


ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिकांश देशों का तापमान और मौसम बदल रहा है. यही कारण है कि हर जगहों पर तापमान बढ़ रहा है. जहां पहाड़ों को उनकी ठंडक के लिए जाना जाता था. आज पहाड़ों पर भी तापमान 30 डिग्री से पार जा रहा है. सभी देश गर्मी से निपटने के लिए अपने-अपने स्तर पर जंग लड़ रहे हैं. एक्सपर्ट गर्मी के समय खूब पानी पीने की सलाह देते हैं. क्योंकि शरीर में पानी की कमी होने के कारण कई दिक्कतें हो सकती हैं. इसके अलावा स्ट्रॉबेरी, खीरा, सलाद, अजवाइन और खरबूजा भी जैसी चीजें अधिक खाने की सलाह देते हैं, ताकि शरीर में नमी की पर्याप्त मात्रा बनी रहे. इसके अलावा तेज धूप में निकलने से बचना चाहिए. 


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