जब कोई दूसरा गुदगुदी करता है तो आ जाती है हंसी, खुद करने पर नहीं होता है कुछ रिएक्शन?
क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम खुद को गुदगुदी करते हैं तो हमारे शरीर में कोई हलचल नहीं होती और न ही हम हंसते हैं?
क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम खुद को गुदगुदी करते हैं तो हमारे शरीर में कोई हलचल नहीं होती और न ही हम हंसते हैं? वहीं, कोई दूसरा व्यक्ति दूसरे के शरीर में गुदगुदी करने की कोशिश करता है तो तुरंत हंसी आ जाती है. आख़िर क्या होता है जब सामने वाला आपको गुदगुदी करता है, कुछ-कुछ होने लगता होता? क्या इसके पीछे कोई साइंस है? तो चलिए आर्टिकल में ये जानते हैं कि आखिर खुद से गुदगुदी करने पर हंसी क्यों नहीं आती है?
हंसते क्यों हैं?
हंसना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि गुदगुदी होने पर हमारी प्रतिक्रिया खुद को सुरक्षित रखने की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, दरअसल, अक्सर लोग हमें बिना बताए अचानक से गुदगुदी कर देते हैं, जिससे हमारे शरीर में घबराहट होने लगती है और हम असहज महसूस करने लगते हैं. इसी वजह से हम अनियंत्रित रूप से हंसने लगते हैं. यूं समझे कि आप बैठे हैं और आपको कोई अचानक आकर गुदगुदी करने लगे तो एक पल के लिए घबरा जाते हैं और उस वक्त दिमाग इतनी जल्दी रिएक्ट नहीं कर पाता है.
अचानक गुदगुदी पर क्यों हंसने लगते हैं?
कुछ लोग तो तभी हंसना स्टार्ट कर देते हैं अगर उन्हें पता चल जाता है कि कोई उन्हें गुदगुदी करने वाला है. दरअसल, गुदगुदी की पूरी प्रक्रिया आश्चर्य पर निर्भर करती है. जब भी कोई हमें अचानक गुदगुदी करता है तो हमारा दिमाग इसके लिए तैयार नहीं होता है. ऐसे में सेल्फ डिफेंस के रूप मे हम हंसने लगते हैं
इसलिए गुदगुदी पर नहीं आती है हंसी?
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के एक मस्तिष्क वैज्ञानिक के हवाले से हाउस्टफवर्क्स.कॉम साइट ने बताया है कि मस्तिष्क का सेरिबैलम हिस्सा हमें खुद को गुदगुदी करने से रोकने का काम करता है. सेरिबैलम मस्तिष्क का वह भाग है जो सभी क्रियाओं पर नज़र रखता है. मस्तिष्क का यह भाग हमारे शरीर में सभी प्रकार की संवेदनाओं के बीच अंतर करने में मदद करता है. इसीलिए जब हम खुद को गुदगुदी करते हैं तो हम हंसते नहीं हैं.