भारत ऐतिहासिक समृद्ध देश है. भारत में आज भी सैंकड़ों साल पुरानी इमारतें मौजूद हैं. लेकिन क्या आपके मन में कभी ये सवाल आता है कि आज के वक्त जहां मकान और बड़ी-बड़ी इमारतों को बनाने के लिए सीमेंट समेत बालू का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं पहले के समय किन चीजों से बड़े-बड़े महल बनाए जाते थे, जो आज तक वैसे के वैसे ही खड़ें हैं. आज हम आपको बताएंगे कि पहले इमारतें किन चीजों से बनते थे.


देश की ऐतिहासिक इमारत


भारत में आज भी तमाम ऐतिहासिक इमारत मौजूद है. जिनका संरक्षण भारत सरकार द्वारा किया जाता है. इनमें से कुछ महल राजवाड़ों के हैं, तो कुछ मुगल शासकों के है. इसके लिए अलावा अंग्रेजों के समय के भी इमारत मौजूद हैं. ताजमहल, कुतुबमीनार, लाल किला, हुमायूं का मकबरा, इमामबाड़ा, हवा महल, आमेर का किला, छत्रपति शिवाजी का किला जैसे बहुत सारे ऐतिहासिक स्थल हैं. लेकिन इन सभी इमारतों में एक बात कॉमन है. दरअसल किसी भी इमारत में सीमेंट या किसी अन्य केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है. अब सवाल है कि आखिर बिना सीमेंट के पहले के समय कैसे बड़े-बड़े महल तैयार किये जाते थे?


आज ईंट और सीमेंट से बन रहे हैं घर


आज के वक्त अधिकांश जगहों पर ईट और सीमेंट-सरिया के जरिए ही घर बन रहे हैं. लेकिन इतिहास में तो सीमेंट बहुत बाद में आया था. अब सवाल है कि पुरानी इमारतों को बनाने के लिए किस चीज का इस्तेमाल किया गया था? 


किलों में पत्थर का इस्तेमाल


बता दें कि पहले के सभी ऐतिहासिक किले में आप देखेंगे कि वहां पर पत्थरों का इस्तेमाल हुआ था. मुगल शासकों से लेकर देश के राजपूत घरानों के सभी किलों में पत्थर ही लगे हैं. क्योंकि उस समय पत्थर बहुत आसानी से उपलब्ध थे. लेकिन सवाल ये है कि आज के वक्त जहां ईंट को चिपकाने के लिए सीमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है, वहीं पहले के समय किन चीजों का इस्तेमाल किया जाता था.     


केमिकल बनाकर चिपकाते थे पत्थर?


पहले के समय पत्थरों को चिपकाने के लिए या आधारशिला बनाने के लिए एक खास तरह का मैटेरियल तैयार किया गया था. दरअसल पुराने समय में महल, किले या किसी भी अन्य इमारत के निर्माण कार्य में पत्थरों को चिपकाने के लिए जानवरों की हड्डियों का चूरा, पत्थर, बांस, धातु, चूने का पाउडर, वृक्षों की छाल, उड़द की दाल का चूरा और अन्य आसानी से मिल जाने वाले पदार्थों के मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता था.


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