इंडियन रेलवे दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, इससे हर रोज़ लाखों करोड़ों लोग एक जगह से दूसरी जगह ट्रैवेल करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय रेलवे हर रोज 13169 ट्रेन चलाती है, इसके बाद भी अगर आपको ऐन मौके पर किसी ट्रेन में कंफर्म टिकट चाहिए तो इसके लिए आपको बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसा ही कुछ होता है जब आप ट्रेन में पसंदीदा सीट चाहते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि ट्रेन में सबसे पहले और सबसे बाद में कौन सी सीट बुक होती है.
ट्रेन में पसंदीदा सीट कैसे मिलती है
किसी भी ट्रेन में सीटों की टोटल संख्या उस ट्रेन के कोच की संख्या पर निर्भर करता है. एक कोच में औसतन 72 से 110 सीटें होती हैं. थर्ड एसी और स्लीपर कोच के सीटों में पांच प्रकार होते हैं. पहला लोअर बर्थ, दूसरा मिडिल बर्थ, तीसरा अपर बर्थ, चौथा साइड लोअर बर्थ और पांचवां साइड अपर बर्थ. इसमें लोगों की अपनी पसंद होती है कि वह किस सीट पर बैठ कर या लेट कर अपनी यात्रा पूरी करेंगे. अगर आपको अपनी पसंदीदा सीट चाहिए तो आपको अपनी टिकट बुक करते समय एक काम करना होगा.
दरअसल, जब आप ट्रेन की टिकट बुक कर रहे होते हैं तो बुकिंग के समय ही सीट प्रिफ्रेंस का ऑप्शन आता है. यहां से आप अपनी मनपसंद की सीट बुक कर सकते हैं. हालांकि, यहां अपनी पसंदीदा सीट चुनने के बाद भी ये तय नहीं होता कि आपको वही सीट मिले. सीट तभी मिलती है जब आपके टिकट बुक करते समय ट्रेन में कई सीटें खाली हों.
पहली और अंतिम सीट कौन सी होती है
दरअसल, भारतीय रेलवे के टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वह टिकट बुक करते समय इस बात का ध्यान रखे की ट्रेन में भार समान रूप से वितरित हो जाए. यानी जब कोई पहली टिकट बुक करता है तो उसको सीट बीच के कोच में दी जाती है. ये सीट भी खासतौर से लोअर बर्थ होती है. कुल मिलाकर कहें तो ये सॉफ्टवेयर इस तरह सो सीटों को बुक करता है कि पूरे ट्रेन में समान रूप से यात्रियों का वितरण हो सके. यानी ऐसा ना हो कि कोई कोच पूरी भरी हो और किसी कोच में सिर्फ 10 या 20 यात्री हों. बुकिंग के समय सॉफ्टवेयर इस बात का भी ख्याल रखता है कि सबसे पहले सीटें कोच के बीच की बुक हों और बाद में कोच के अंत यानी गेट के पास की.
ये भी पढ़ें: Children’s Day: आज है यूनिवर्सल चिल्ड्रन डे, चाचा नेहरू के बाल दिवस से यह कितना अलग?