श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अभी तक यह घोषणा कर दी है कि अरुण योगीराज की बनाई हुई मूर्ति अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में रखी जाएगी. दरअसल, भारत के इस भव्य राम मंदिर का 22 जनवरी को उद्घाटन होना है. अरुण योगीराज उन तीन मूर्तिकारों में से एक हैं जिन्होंने राम लला (बचपन में भगवान राम) की मूर्तियां बनाई हैं.  


अरुण योगीराज कब से बना रहे थे रामलला की मूर्तियां?


अरुण योगीराज की पत्नी विजेता से जब पूछा गया कि इस मूर्ति को बनने में कितना वक्त लगा है? इस पर उनकी पत्नी विजेता ने एबीपी हिंदी LIVE से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि 6 महीने से अरूण अयोध्या का काम कर रहे हैं. वह 6 महीने से कोई दूसरा काम नहीं ले रहे हैं. मूर्तियों के बारे में बात करते हुए उनकी पत्नी बताती हैं कि वह स्टोन की मूर्ति ज्यादा बनाते हैं. साथ ही बहुत सारे वर्कर है लेकिन जब मूर्ति के चेहरे की बात आती है तो वह खुद से वह काम करते हैं. 


 मैसूर के रहने वाले योगीराज मशहूर मूर्तिकारों के परिवार से हैं. उनका कहना है कि उनका परिवार 250 साल यानी पिछली पांच पीढ़ियों से यह काम कर रहा है. 38 साल योगीराज को देश के सबसे अधिक मांग वाले मूर्तिकारों में गिना जाता है. हालांकि उनके पास एमबीए की डिग्री है और उन्होंने कुछ समय के लिए नौकरी भी की, फिर भी वे अपने पारिवारिक पेशे में वापस आ गए.


आइसोलेशन में अरुण योगीराज!


फोन पर हुई बातचीत के दौरान अरुण योगीराज की पत्नी विजेता ने बताया कि उनके पति को इस वक्त आइसोलेशन में रहने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही, किसी से बातचीत करने से भी मना किया गया है. इसके अलावा भगवान राम की मूर्तियों से संबंधित किसी भी सवाल का जवाब देने से भी रोका गया है. ऐसे में अरुण किसी से भी बात नहीं कर रहे हैं. 


दिनभर में सिर्फ पांच मिनट होती है बातचीत


विजेता ने एबीपी न्यूज को बताया कि राम मंदिर में अरुण द्वारा बनाई गई मूर्तियों को स्थापित किए जाने की खबर सामने आने के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी है. वह मुझसे, बच्चों और पूरे परिवार से दिनभर में सिर्फ पांच मिनट ही बात करते हैं. इसके बाद उनका फोन दिनभर स्विच्ड ऑफ रहता है. दरअसल, उन्हें लगातार फोन आ रहे हैं, जिससे उनका काम भी प्रभावित होता है.


क्या वाकई लग रहीं योगीराज की मूर्तियां?


विजेता के मुताबिक, राम मंदिर में अरुण की मूर्तियां लगने की खबर उन्हें खुद मीडिया से पता लगी है. इसके बाद पूरा परिवार बेहद खुश है. हमारे पास लगातार फोन आ रहे हैं. घर में पड़ोसियों और रिश्तेदारों का मेला लगा हुआ है, लेकिन इस बारे में हमारे पास कोई सटीक जानकारी नहीं है. न ही शासन और प्रशासन की तरफ से इस संबंध में कोई पुष्टि की गई है. वहीं, अरुण ने भी इस बारे में कुछ नहीं बताया है. 


पांच पीढ़ियों से हो रहा है काम


मूर्तियां तराशने का काम अरुण पहली बार नहीं कर रहे हैं. उनका परिवार पांच पीढ़ियों से मूर्ति तराशने का काम कर रहा है. अरुण के पिता योगिराज भी एक कुशल मूर्तिकार हैं. उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था. पढ़ाई लिखाई की बात करें तो अरुण ने एमबीए किया है. पहले वो एक प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशन में नौकरी कर रहे थे, लेकिन 2008 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने पुश्तैनी काम यानी मूर्तियां तराशने में लग गए.


सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति से अरुण का नाता


जब भी आप कभी इंडिया गेट घूमने जाते होंगे तो आपको वहां 30 फीट ऊंची सुभाष चंद्र बोस की एक मूर्ति दिखती होगी. ये मूर्ति भी अरुण योगीराज ने ही तैयार की है. दरअसल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इस मूर्ति का अनावरण पीएम मोदी ने खुद 8 सितंबर 2022 को किया था. हालांकि, इसके पहले इस मूर्ति की जगह पीएम मोदी ने 23 जनवरी को इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के होलोग्राम स्टैचू का अनावरण किया था.


ये भी पढ़ें: सिर्फ पांच मिनट की बातचीत और फोन स्विच्ड ऑफ... मूर्तियां सेलेक्ट होने की खबर के बाद कितनी बदल गई अरुण योगीराज की जिंदगी?