दुनियाभर में बच्चों में होने वाली बीमारियों में पोलियो एक गंभीर बीमारी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत क पोलियो मुक्त घोषित कर दिया था. लेकिन एक बार फिर से देश में पोलियो मरीजों की पुष्टि हुई है. जानिए आखिर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कब भारत को पोलियो मुक्त घोषत किया था.


क्या है पोलियो?


अब सबसे पहले ये जानते हैं कि पोलिया वायरस क्या होता है? बता दें कि पोलियो वायरस एक इंफेक्शन है. इसको पोलियोमाइलाइटिस कहा जाता है. पोलियो होने पर ब्रेन रीढ़ की हड्डी को नुकसान होता है. पोलियो का आजतक कोई इलाज नहीं है. 


पोलियो मुक्त घोषित


पोलियो बच्चों में फैलने वाले सबसे गंभीर बीमारियों में एक है. पोलियो के कारण बच्चे दिव्यांग हो जाते हैं. लेकिन भारत को साल 2014 में यानी करीब 10 साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पोलियो मुक्त घोषित कर दिया था. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में आखिरी बार इस बीमारी का मामला साल 2011 में सामने आया था. उसके तीन साल बाद तक कोई केस नहीं आया था. 


कब कोई देश होता संक्रमण मुक्त घोषित


नियमों के मुताबिक  वैक्सीनेशन के बाद अगर किसी देश में बीमारी का तीन साल तक एक भी केस रिपोर्ट नहीं होता है, तो उस देश को संबंधित बीमारी से मुक्त घोषित कर दिया जाता है. इसी वजह से 2014 में भारत पोलियो मुक्त हो गया था. क्योंकि कई सालों तक चले ‘पल्स पोलियो’ अभियान के बाद ये बीमारी काबू में आई थी.


पल्स पोलियो अभियान


बता दें कि इस अभियान में बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जाती थी. देशभर में बड़े स्तर पर यह अभियान चलाया गया था. लेकिन अब दस साल बाद देश में पोलियो का एक केस दर्ज किया गया है. अब सवाल ये है कि क्या केस बढ़ने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) फिर भारत से पोलियो मुक्त का टैग हटा देगा. जानकारी के मुताबिक एक-दो केस आने पर ऐसा नहीं होता है, भारतीय वैज्ञानिक इसको लेकर जांच कर रहे हैं.


पोलियो संक्रमण


 मेघालय में एक दो साल के बच्चे में यह इंफेक्शन मिला है. इस बच्चे को वैक्सीन भी लग चुकी थी, लेकिन फिर भी यह संक्रमित हो गया है. लेकिन सवाल ये है कि जब बीमारी देश से खत्म हो चुकी है, तो फिर पोलियो का केस दोबारा कैसे आया है. बता दें कि लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ एल. एच घोटेकर बताते हैं कि ये मामला सामान्य पोलियो का नहीं बल्कि यह वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो वायरस  की घटना है. इस तरह की स्थिति कुछ बीमारियों के मामले में हो जाती है. उन्होंने कहा कि ऐसा तब होता है, जब वैक्सीन में वायरस के खिलाफ कमजोर स्ट्रेन डाला जाता है. वहीं वायरस पर वैक्सीन की डोज प्रभावी नहीं होती है. इससे बच्चा संक्रमित हो जाता है.


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