दुनियाभर में आप कहीं पर भी जब सड़कों पर गाड़ी चलाते हैं, तो आपको कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है. सबसे पहला नियम गाड़ी में बैठने के समय अपनी सुरक्षा के लिए सीट बेल्ट पहनना और सड़क पर चलने के दौरान दूसरों की सुरक्षा के लिए ट्रैफिक लाइट नियमों का पालन करना है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रैफिक लाइट का आविष्कार किसने किया था? आज हम आपको बताएंगे कि ट्रैफिक लाइट का आविष्कार कब और कैसे हुआ था.
ट्रैफिक लाइट का आविष्कार?
सवाल ये है कि आखिर ट्रैफिक लाइट की जरूरत कब और किस समय पड़ी थी? जानकारी के मुताबिक 1868 के समय लंदन में घोड़े, इक्के और बग्घी चला करती थी. जिस कारण सड़कें इन्हीं के सवारियों से भरी रहती थी. इस दौरान पैदल चलने वालों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. इस दौरान सबसे ज्यादा भीड़ पार्लियामेंट स्क्वायर पर होती थी. जिस कारण वहां पर अक्सर कोई ना कोई घोड़ों की चपेट में आकर घायल होता था. इस दौरान वहां पर पर्याप्त पुलिस वाले भी नहीं थे, जो ट्रैफिक को कंट्रोल कर सकें. इस समस्या से निपटने के लिए ट्रैफिक सिग्नल लगाने का आइडिया आया था.
दुनिया का पहला ट्रैफिक लाइट
इसके बाद 10 दिसंबर 1868 को पहली बार लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर पर ट्रैफिक सिग्नल लगाया गया था. लेकिन ये सिग्नल आज के सिग्नल से बहुत अलग था. उस वक्त के ट्रैफिक सिग्नल को रेलवे सिग्नल सिस्टम की तरफ मैन्युअल ऑपरेट करना पड़ता था. जिसके लिए एक खंभेनुमा पाइप में दो तरह की लाइट रेड और ग्रीन लगी होती थी. यह लाइट गैस से चलती थी. एक पुलिसकर्मी पाइप के जरिए इसमें गैस भरता और फिर इसको ऑपरेट करता था. हालांकि गैस वाली ट्रैफिक लाइट बहुत खतरनाक भी थी. कुछ समय चलने के बाद एक बार विस्फोट हुआ था, जिसमें ऑपरेटर गंभीर रूप से घायल हुआ था. इसके बाद अगले करीब 50 साल तक ट्रैफिक सिग्नल पर बैन लग गया था.
दोबारा फिर हुआ शुरू
इसके बाद साल 1929 में ब्रिटेन में दोबारा ट्रैफिक सिग्नल की शुरुआत हुई थी. लेकिन इससे पहले साल 1921 में अमेरिका के डेट्रायट में एक पुलिस अफसर विलियम पॉट ने थ्री सेक्शन वाला ट्रैफिक सिग्नल की शुरूआत की थी. वहीं साल 1923 में अफ्रीकी-अमेरिकी वैज्ञानिक गैरेट मोर्गन ने बिजली से चलने वाले ट्रैफिक सिग्नल का आविष्कार किया था. इसके बाद उन्होंने अपने इन्वेंशन को जनरल इलेक्ट्रिक को 40000 डॉलर में बेच दिया था. फिर क्या था दुनिया के दूसरे देशों में धीरे-धीरे ट्रैफिक सिग्नल लगाने की शुरुआत हो चुकी थी.
कब आया येलो लाइट?
बता दें कि शुरुआत में जो ट्रैफिक सिग्नल थे, उनमें येलो लाइट नहीं होती थी. उन सिग्नल में सिर्फ रेड और ग्रीन लाइट थी. जब विलियम पॉट साल 1921 में तीन रंग वाला सिग्नल लेकर आए थे, तो उसमें उन्होंने येलो कलर ऐड किया. जो एक तरीके से अलर्ट करने का सूचक था. जिससे ड्राइवर गाड़ी स्टार्ट करके तैयार हो जाते थे.
ड्राइवरलेस गाड़ियां क्या सिग्नल पहचान पाएगी?
तकनीक बढ़ने के साथ ही अब दुनिया में ड्राइवरलेस गाड़ियां आना शुरू हो रही हैं. लेकिन सवाल ये है कि इंसान जिस तरीके से भावनाओं को समझकर गाड़ियों को रोकता है और आपातकाल स्थिति में किसी की मदद करता है. क्या ड्राइवरलेस गाड़ियां ऐसा कर पाएगी? एक्सपर्ट्स के मुताबिक ड्राइवरलेस गाड़ियां अपने सॉफ्टवेयर और सिस्टम पर चलेगी.
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