Mimicry: हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ की मिमिक्री करने के चक्कर में भारत में बेहद बवाल मचा हुआ है. राज्यसभा से निलंबित सांसद कल्याण बनर्जी ने उपराष्ट्रपति के बोलने की शैली की नकल उतारी थी. जिससे उपराष्ट्रपति बेहद खफा नजर आए. इसके साथ ही कल्याण बनर्जी के खिलाफ काफी लोग उतर आए. यह तो रही मिमिक्री को लेकर देश में ताजा स्थिति. हालंकि ये राजनेताओं का काम नहीं है. हास्य कलाकार ही करें तब यह अच्छा लगता है. राजनेतओं का काम राजनीति है. अब आपको बताते हैं मिमिक्री का इतिहास.क्या होती है मिमिक्री? कब हुई इसकी शुरुआत. यह शब्द चलन में कब से आया. 


1667 में पहली बार सामने आया


मिमिक्री ग्रीक भाषा का शब्द है. जो पहली बार 1667 में इस्तेमाल में आया था. जिसका मतलब होता है नकल करना. मिमिक्री का मतलब किसी की नकल करना है लेकिन उस नकल में एक हास्य का एलीमेंट भी जोड़ना होता है. यानी मिमिक्री करने वाला शख़्स जिसकी मिमिक्र कर रहा हो वह उस शख़्स के हाव भाव और उसकी आदतें इस प्रकार से लोगों के सामने पेश करें जिससे देखने वाली ऑडियंस के बीच हास्य उत्पन्न हो. 


भारत में मिमिक्री का इतिहास


भारत में मिमिक्री की ठीक शुरुआत कब हुई थी इस बात का कोई प्रमाण नहीं है. लेकिन 1970-80 के दशक में जब संगीत अपने चरम पर था. भारत में गायकों के नाम पर रोज कार्यक्रम हुआ करते थे. जब गायक ब्रेक लिया करते थे तब उसे दौरान मिमिक्री आर्टिस्ट आकर उसे समय के फिल्मी कलाकारों की मिमिक्री किया करते थे. तब से लेकर भारत में अब तक मिमिक्री करने के आर्ट में काफी बदलाव आ गया है. पहले जहां इसका उद्देश्य केवल हंसना होता था. अब इसमें दूसरों को रोस्ट करना यानी कि उनकी बेइज्जती करना भी शामिल हो गया है. 


नारद मुनि से है कनेक्शन


मिमिक्री को लेकर जब मशहूर कॉमेडी और और मिमिक्री आर्टिस्ट सुनील पाल से सवाल किए गए. तब उन्होंने इसका जवाब देते हुए मिमिक्री के इतिहास के बारे में बताया. उनके अनुसार मिमिक्री भारत में काफी पहले से थी. जब नारद मुनि थे वह भी मिमिक्री किया करते थे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अकबर के जमाने में भी मिमिक्री हुआ करती थी अकबर और बीरबल जब बातचीत किया करते थे. तब बीरबल अकबर के सामने अन्य राजाओं की मिमिक्री किया करते थे. 


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