प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं. नरेंद्र मोदी 9 जून की शाम को शपथ ग्रहण करेंगे. जानकारी के मुताबिक इस दौरान कैबिनेट के मंत्री और सांसद भी शपथ लेंगे. अब सवाल ये है कि संसद में पक्ष और विपक्षी दल कहां बैठते हैं, ये कौन तय करता है. क्या कोई सांसद कहीं पर भी बैठ सकता है. जानिए संविधान में क्या इसके लिए क्या नियम हैं. 


संसद में कौन सा सांसद कहां बैठता?


जानकारी के मुताबिक लोकसभा में अध्यक्ष तय करते हैं कि कौन सा सदस्य कहां पर बैठेगा. संसद में पारंपरिक व्यवस्था के तहत सत्ता पक्ष के लोग एक तरफ बैठेंगे और विपक्ष के लोग एक तरफ बैठते हैं.


लोकसभा में 543 सदस्य 


भारतीय संविधान में लोकसभा सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तय की गई थी. इनमें से 530 सदस्य अलग-अलग राज्यों से चुनकर आते थे. वहीं 20 सीटें केंद्र शासित प्रदेशों के लिए रिजर्व थी. वहीं दो सीटें एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए निर्धारित थीं, जिन पर राष्ट्रपति सदस्यों को मनोनीत करते थे. हालांकि अब यह व्यवस्था खत्म हो चुकी है. अभी लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या 543 है. 


स्पीकर 


लोकसभा में आमतौर पर स्पीकर के दायीं ओर की कुर्सियों पर सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य बैठते हैं. वहीं विपक्षी सांसद स्पीकर के बायीं ओर की सीटों पर बैठते हैं. स्पीकर के सबसे आगे एक टेबल पर लोकसभा सचिवालय के अफसर बैठते हैं, जो सदन में दिन भर की कार्यवाही का लेखा-जोखा रिकॉर्ड करते हैं.


संसद में बैठने की व्यवस्था


लोकसभा में प्रक्रिया और संचालन के नियम 4 के मुताबिक  लोकसभा सदस्य स्पीकर द्वारा निर्धारित किए गए नियम के अनुसार बैठते हैं. इस सम्बन्ध में जरूरी निर्देश क्लॉज 122(ए) में दिए गए हैं. इसी क्लॉज से स्पीकर को यह अधिकार मिलता है कि वह किसी पार्टी की लोकसभा में सीटों की संख्या के आधार उसके सदस्यों के लिए बैठने की जगह तय करता है. हालां किव्यवस्था करते समय स्पीकर इस बात का ध्यान रखते हैं कि वरिष्ठ सदस्यों को आगे की ओर बैठने की जगह मिले. वो किसी भी दल के सदस्य हो सकते हैं. 


नया संसद भवन


बता दें कि नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है. वहीं राज्यसभा में 384 सदस्य बैठ सकते हैं. वहीं लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र के लिए नये संसद भवन में एक साथ 1272 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था हो सकती है.


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