मानसून आने के साथ ही तेज हवा और बिजली गिरने की घटनाएं भी बढ़ गई हैं. अभी ताजा मामला सीतामढ़ी जिले का है, जहां पर जोरदार बिजली गिरी है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर भारत में सबसे ज्यादा बिजली कहां पर गिरती है. आज हम आपको बताएंगे कि सबसे ज्यादा बिजली कहां पर गिरती है और इससे क्या-क्या नुकसान हो सकता है. 


बिजली गिरना


बारिश के दिनों में बिजली गिरना एक सामान्य घटना है. अभी हाल ही में सीतामढ़ी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दिख रहा है कि एक लड़की घर की छत पर रील बना रही थी. इस दौरान आसमान से बिजली गिरती है. बिजली गिरने के तुरंत बाद लड़की वहां से भागती हुई दिख रही है. इस घटना में लड़की बच गई थी. ये वीडियो सोशल मीडिया पर इतना तेजी से वायरल हो रहा है, हर कोई इस घटना के बारे में जानना चाहता है. आज हम आपको बताएंगे कि बिजली कैसे गिरती है और सबसे ज्यादा कहां पर गिरती है. 


बिजली कैसे गिरती?


बता दें कि वायुमंडल में होने वाली घटनाओं में बिजली गिरने की घटना सबसे ज्यादा खतरनाक और रहस्यमयी होती है. देश में हर साल बिजली गिरने की एक करोड़ से ज्यादा घटनाएं होती हैं, जिनमें दो से ढाई हजार लोगों की मौत हो जाती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक वायुमंडल में तेज गति से भारी मात्रा में बिजली के डिस्चार्ज को ही बिजली गिरना कहा जाता है. दरअसल वायुमंडल से बिजली के डिस्चार्ज होने पर बिजली की कुछ मात्रा धरती पर भी गिरता है. 


इस प्रदेश में गिरती है सबसे ज्यादा बिजली


क्लाइमेट रेजिलिएंट आब्जर्विंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल (सीआरओपीसी) ने भारतीय मौसम विभाग के साथ मिलकर एक मानचित्र जारी किया था. जिसमें आकाशीय बिजली से प्रभावित इलाकों की जानकारी दी गई है. इसके मुताबिक मध्य-प्रदेश में बिजली गिरने की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं. इसके बाद छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और बंगाल का नंबर आता है. इन राज्यों के अलावा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं होती हैं.


बता दें कि देश के शहरी इलाकों में बिजली गिरने की घटनाओं को ज्यादा महसूस नहीं किया जाता है. लेकिन ग्रामीण इलाकों यह बहुत आम घटना है. जानकारी के मुताबिक वर्ष 2019-20 में देश में बिजली गिरने की एक करोड़ 40 लाख घटनाएं दर्ज की गईं थी. वहीं वर्ष 2020-21 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर एक करोड़ 85 लाख हो गई थी. इसके बाद वर्ष 2021-22 में यह घटकर एक करोड़ 49 लाख पर पहुंच गया था. हालांकि कोविड-19 के कारण प्रदूषण घटकर वायुमंडल के स्वच्छ होने के कारण आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है. 


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