आपके घरों से जो गाड़ी वाले लाखों टन कचरा ले जाते हैं, वो जाता कहां है और उसका होता क्या है?
Garbage: भारत में रोजाना करोड़ों घरों से कई टन कचरा इकट्ठा किया जाता है. लेकिन क्या आपने सोचा है. इस कचरे को ले जाने के बाद के साथ क्या किया जाता है. नहीं पता तो चलिए जानते हैं.
What happens to the garbage thrown away: आपने सोशल मीडिया पर एक गाना बहुत सुना होगा 'गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल' इस गाने ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी थी. आप सोच रहे होंगे. हम आपसे इस गाने का जिक्र क्यों कर रहे हैं. दरअसल यह सिर्फ गाना ही नहीं था बल्कि हकीकत है. भारत में करोड़ों लोगों के यहां कचरा उठाने वाली गाड़ी आती है.
जिनमें लोग कचरा डालते हैं और गाड़ी उस कचरे को लेकर चली जाती है. कई लोगों के घरों पर गाड़ी नहीं आती. तो उनके घरों के आसपास ही डंपिंग यार्ड होते हैं. जहां वह कचरा डाल देते हैं और गाड़ी वहां से ले जाती है. लेकिन कभी आपने सोचा है इतना कचरा रोजाना ले जाया जाता है उसका होता क्या है. चलिए आपको बताते हैं.
कचरे को किया जाता है रीसायकल
2021 में साझा की गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में रोजाना कल 1,60,000 मीट्रिक टन कचरा निकलता है. जिनमें कई प्रकार का कचरा होता है. जिसमें प्लास्टिक, रबर और अन्य चीजें होती हैं. ज्यादातर जो कचरा होता है. उसे रीसाइकलिंग के लिए भेज दिया जाता है. और जो कचरा रीसायकल नहीं हो पता उसे लैंडफिल यानी डंपिंग यार्ड में भेज दिया जाता है.
आज के दौर में कचरे को रिसाइकल करने की मार्केट काफी बड़ी हो चुकी है. प्लास्टिक से कपड़ों को बनाया जा रहा है. कुछ समय पहले खबर आई थी कि भारतीय क्रिकेट टीम के कपड़े भी रीसाइकिल्ड प्लास्टिक से बनाए गए थे. इसके साथ ही कचरे को रीसाइकल करके और भी चीजें बनाई जाती हैं.
कचरा बेचा और खरीदा भी जाता है
भले ही आपको सुनने में यह थोड़ा अजीब लगे. लेकिन यह सच है कि दुनिया में कई देश कचरे को खरीद और बेच रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार कचरा खरीदने के मामले में पहले नंबर पर तुर्किए है. जिसने साल 2021 में 14.7 मिलियन टन कचरा खरीदा था.
तो वहीं इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर भारत है भारत ने इसी दरमियान 2.4 मिलियन टन कचरा अन्य देशों से मंगाया था. भारत में कचरे की रीसाइक्लिंग से बहुत से काम किया जा रहे हैं. जिनमें अब प्लास्टिक की सड़कों का निर्माण भी हो रहा है. इसीलिए भारत बड़ी मात्रा में विदेश से कचरा खरीद रहा है. इनमें ज्यादातर प्लास्टिक कचरा होता है.
यह भी पढ़ें: परमाणु हथियारों से हमला तो दूर... अगर संयंत्र से रिसाव भी हुआ तो होगा ये हाल