इजरायल ने कहां लगाया है अपना आयरन डोम, जो मिसाइलों के लिए है लोहे की दीवार
इजरायल इन दिनों चौथरफा युद्ध लड़ रहा है, ऐसे में इजरायल का आसरन डोम सिस्टम काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है जो मिसाइलों के लिए लोहे की दीवार की तरह है.
इजरायल इन दिनों ईरान, हिजबु्ल्लाह, हौथी और गाजा से चौथरफा युद्ध लड़ रहा है. उसके रॉकेट और मिसाइलें चारों ओर से दुश्मनों को मार रही हैं. वहीं इजरायल भी लगातार दुश्मनों के हमलों का सामना कर रहा है. ऐसे में इजरायल ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसमें सबसे प्रमुख है "आयरन डोम" (Iron Dome) प्रणाली. यह एक बेहतरीन मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जिसे खासतौर पर छोटे रॉकेटों और आर्टिलरी गोले से बचाव के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह प्रणाली इजरायल की सुरक्षा में खास भूमिका निभा रही है, खासकर जब से आसपास के क्षेत्रों में तनाव बढ़ा है.
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कब इजरायल ने लगाया आयरन डोम?
आयरन डोम एक मोबाइल और स्वायत्त प्रणाली है, जिसे पहली बार 2011 में इजरायल के रक्षा मंत्रालय द्वारा पेश किया गया था. इसकी खासियत यह है कि यह दुश्मन की मिसाइलों और रॉकेटों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है. आयरन डोम में रडार सिस्टम, नियंत्रण केंद्र और इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं. जब कोई मिसाइल लॉन्च होती है, तो रडार उसे ट्रैक करता है और नियंत्रण केंद्र तय करता है कि क्या उसे इंटरसेप्ट करना चाहिए या नहीं. यदि खतरा गंभीर होता है, तो इंटरसेप्टर मिसाइल उसे नष्ट कर देती है.
गौरतलब है कि हाल के महीनों में इजरायल ने अपने आयरन डोम की तैनाती को और बढ़ा दिया है, खासकर गाजा पट्टी और लेबनान की सीमा के नजदीक. 2023 में इजरायल ने गाजा से आने वाली मिसाइलों के खतरे के मद्देनजर अपने सुरक्षा उपायों को मजबूत किया है, साथ ही आयरन डोम ने कई सफल इंटरसेप्शन किए हैं, ऐसे में आयरन डोम की मदद से गाजा से आने वाले 90 प्रतिशत से ज्यादा रॉकेटों को इजरायल ने सफलतापूर्वक खत्म किया है.
अन्य देशों में भी किया जा सकता है लागू
आयरन डोम प्रणाली महज इजरायल की सुरक्षा का एक साधन नहीं है, बल्कि ये एक सामरिक टूल भी है जिसे दूसरे देशों में भी लागू किया जा सकता है. अमेरिका ने इजरायल को इस प्रणाली के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है. हाल ही में अमेरिकी सीनेट ने आयरन डोम के लिए अतिरिक्त वित्तीय समर्थन को मंजूरी दी, जिससे इस प्रणाली के कार्यान्वयन में सहायता मिली है.
हालांकि, आयरन डोम की तैनाती और इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों की आलोचना भी की गई है. कुछ मानवाधिकार संगठन इस बात पर चिंता जताते हैं कि इस प्रणाली के कारण इजरायल की आक्रामकता बढ़ रही है और यह फलस्तीनी नागरिकों पर असर डाल रही है.
कब आयरन डोम प्रणाली हो सकती है फैल
हालांकि आयरन डोम एक प्रभावी रक्षा प्रणाली है, लेकिन इसे भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. खासतौर पर यदि दुश्मन एक साथ कई रॉकेट लॉन्च करते हैं, तो यह प्रणाली दबाव में आ सकती है. इसके अलावा, जैसे-जैसे तकनीकी प्रगति होती है, दुश्मन ज्यादा उन्नत रॉकेट और मिसाइल तकनीकों का विकास कर सकते हैं.
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