Panama Canal: अगर हम आपसे कहें कि क्या पानी का जहाज पहाड़ को पार का सकता है, तो आपका जवाब होगा 'नहीं'. यकीन करेंगे अगर हम कहें कि ये न सिर्फ मुमकिन है, बल्कि हर साल करीब 15 हजार पानी के जहाज पहाड़ को पार भी करते हैं. दरअसल, ऐसा हो पता है पनामा नहर के कारण. इस नहर को बनाना दुनिया का सबसे बड़ा और कठिन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट माना जाता है. आइए जानते हैं इस नहर की नायाब कारीगरी के बारे में.


दो महासागरों को जोड़ती है नहर


यह नहर अमेरिका के पनामा में है. यह नहर अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने का काम करती है. यह नहर दुनिया के प्रमुख जलमार्गों में से एक है. इस नहर की लंबाई 82 किलोमीटर, औसत चौड़ाई 90 मीटर और न्यूनतम गहराई 12 मीटर है. इस नहर की खासियत है इसकी तकनीक. पनामा नहर गाटुन झील से होकर गुजरती है. जिसका जलस्तर समुद्रतल से 26 मीटर ऊपर है. ऐसे में झील और महासागर के बीच की जमीन रास्ते की अड़चन थी. जिसे यहां नहर बनाकर दूर किया गया. जहाजों को यहां लिफ्ट करके इस नहर से गुजारा जाता है. आसान शब्दों में कहें तो जहाज को ऊपर उठाकर नहर से गुजारा जाता है.


नहर का निर्माण


पनामा नहर का निर्माण अमेरिका के राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने कराया था. लेकिन इसका काम फ्रांस ने शुरू किया था. फ्रांसीसी राजनायिक मिस्टर फर्डिनेंड डी लेसेप्स ने साल 1881 में इस नहर का काम शुरू किया था. साल 1894 में पीले बुखार और मलेरिया के फैलने से करीब 22,000 श्रमिकों की मौत हो गई थी. इसलिए इस नहर का काम रोक दिया गया था. 287 मिलियन डॉलर खर्च करने से फर्डिनेंड दिवालिया हो गए थे. इसके बाद बचा हुआ काम 1904 में अमेरिका ने शुरू किया. 10 साल बाद 1914 में ये नहर बनकर तैयार हुई.


लगभग 13 हजार किलोमीटर घट जाती है दूरी


दरअसल, पनामा नहर के होने से अमेरिका के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच की दूरी 12,875 किलोमीटर घट जाती है. जब यह नहर नहीं थी, तब जहाजों को दो हफ्ते का लंबा चक्कर लगाना पड़ता था. पनामा नहर की बदौलत दो हफ्ते की दूरी सिर्फ 10 से 12 घंटे में ही पूरी हो जाती है. आज के समय में इस नहर से करीब 15 हजार जहाज हर साल गुजरते हैं. नहर को पार कराने के लिए पनामा शहर को टोल फीस से भारी-भरकम राजस्व मिलता है. साल 2021 में पनामा नहर का टोल रेवेन्यू 3 अरब डॉलर रहा था. 




तकनीक है बेहद हैरान करने वाली


पनामा नहर से जहाजों को गुजारने के लिए एक जटिल तकनीक काम आती है. यहां तीन लॉक्स सेट बनाए गए हैं. इनमें पहले एक लॉक में जहाज को प्रवेश कराया जाता है. इसके बाद इसमें पानी भरकर जहाज को ऊपर उठाया जाता है. फिर जहाज को अगले लॉक्स में प्रवेश करा दिया जाता है. यहां भी इसी तरह वाटरलेवल को मेंटेन करके जहाज को आगे भेज दिया जाता है. इसी तरह जब जहाज को नीचे उतारना होता है, तो लॉक्स के पानी के कम करके जहाज को नीचे समुद्र में उतार दिया जाता है. इस दौरान जहाजों के कप्तान अपने जहाज का पूरा कंट्रोल नहर के स्थानीय एक्सपर्ट कप्तान को दे देते हैं.


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