इस समय पूरे देश में आईपीएल की धूम है. हर तरफ लोग क्रिकेट की चर्चा करते मिल जाएंगे. खासतौर से उन छक्कों की चर्चा जो गेंद को स्टेडियम में बैठे दर्शकों के बीच पहुंचा देती है. दरअसल, ये छक्के बैट्समैन द्वारा तभी लगते हैं, जब बॉल बैट के एक खास हिस्से को टच करती है. चलिए आपको आज इस आर्टिकल में बैट के स्वीट स्पॉट के बारे में बताते हैं और बताते हैं कि कैसे बैट का एक खास हिस्सा शॉट की तकदीर तय करता है.
क्या होता है स्वीट स्पॉट?
स्वीट स्पॉट बल्ले का वो हिस्सा होता है, जहां से अगर बॉल को हिट किया जाए तो बॉल पर तगड़ी चोट पहुंचेगी. यही वजह है कि कम ताकत में भी जब बॉल बैट के इस हिस्से पर लगती है तो बाउंड्री हो जाती है. कई बार ये छक्के में भी बदल जाती है. चलिए अब आपको बताते हैं कि ये स्वीट स्पॉट बैट में होता कहां है. जब आप किसी क्रिकेट बैट को देखेंगे तो टो से ऊपर एक जगह ऐसी होती है जहां बैट का हिस्सा बाकी के हिस्से से मोटा होता है. स्वीट स्पॉट इसे ही कहते हैं. इस जगह से अगर गेंद पर वार किया जाए तो ये काफी दूर तक जाती है.
क्रिकेट बैट में होते हैं इतने स्पॉट
क्रिकेट बैट में सिर्फ स्वीट स्पॉट ही नहीं होते. बल्कि बल्ले पर कई और तरह के स्पॉट होते हैं. जैसे हाई स्वीट स्पॉट, मीडियम स्वीट स्पॉट और लो स्वीट स्पॉट. हाई स्वीट स्पॉट बैट के निचले हिस्से के 250 एमएम ऊपर होता है. जबकि, मीडियम स्वीट स्पॉट बल्ले के निचले हिस्से के 225 एमएम ऊपर होता है. वहीं, लो स्वीट स्पॉट बल्ले के निचले हिस्से के 210 एमएम ऊपर होता है. बैट्समैन जिस तरह की शॉट खेलना चाहता है, वो उसके लिए इन स्वीट स्पॉट का प्रयोग करता है. भारतीय बल्लेबाजों में विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर के बारे में कहा जाता है कि इन्हें इन स्पॉट की जानकारी सबसे बेहतर तरीके से है.
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