दुनिया में कई मंदिर मौजूद हैं जिनकी कथाएं और रहस्य लोगों को आश्चर्य में डाल देते हैं. साथ ही कुछ मंदिर ऐसे हैं जो बेहद अनोखे हैं. उन्हीं में से एक है दांत का मंदिर. जी हां आपने सही पढ़ा. इस मंदिर में लोग वर्षों से पूजा करते आ रहे हैं. इस मंदिर का अनोखापन लोगों को लुभाता भी है और अपनी ओर आकर्षित भी करता है. तो चलिए आज हम जानेंगे कि आखिर इस दांत के मंदिर में क्या खास है और ये दांत है किसके.


मंदिर में रखे हैं किसके दांत?
दांत का मंदिर दरअसल भारत में नहीं बल्कि श्रीलंका में स्थित है. यदि आप ये सोच रहे हैं कि इस मंदिर में किसके दांत रखे होंगे तो बता दें कि इस मंदिर में भगवान गौतम बुद्ध के दांत हैं. इसलिए इस मंदिर का नाम दांत का मंदिर पड़ गया. इस मंदिर में रखे दांत को लेकर मान्यता है कि ये आज भी थोड़ा-थोड़ा बढ़ रहा है. 


मंदिर का इतिहास
मान्यता है कि जब गौतम बुद्ध की मृत्यु हुई थी उस समय उनका अंतिम संस्कार उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में किया गया था, लेकिन उनके अंतिम संस्कार के पहले उनके एक अनुयायी ने उनका दांत उनके मुंह से निकाल लिया था. जिसके बाद उस अनुयायी ने गौतमबुद्ध का दांत राजा ब्रम्हदत्त को सौंप दिया. कई सालों तक राजा ब्रम्हदत्त ने गौतमबुद्ध के उन दांतों की पूजा की और अपने राजमहल में उन दांतों का स्थापित करवाया.


कहा जाता है चमत्कारी माने जाने वाले गौतमबुद्ध के दांतों को पाने के लिए कई राजाओं ने युद्ध भी लड़े थे, लेकिन इन दांतों को सुरक्षित रखने के लिए गौतम बुद्ध के एक अनुयायी ने उन्हें श्रीलंका पहुंचा दिया. उसके बाद श्रीलंका के राजा ने इन दांतों के लिए एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया और इन दांतों की स्थापना उस मंदिर में की. उस समय से लेकर आज तक इस मंदिर में गौतम बुद्ध के दांतों की पूजा की जाती है.गौतमबुद्ध के ये दांत एक छोटी से डिब्बी में रखे हुए हैं जिन्हें किसी को छूने की अनुमति नहीं है. कहा जाता है कि इन दांतों के दर्शन करने से लोगों के कष्टों का अंत हो जाता है.


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