भारत में जब भी जेलों की बात होती है, सबसे पहले तिहाड़ जेल का नाम लिया जाता है. क्यों तिहाड़ जेल भारत की सबसे बड़ी जेल है. लेकिन अगर आपसे पूछा जाए कि दुनिया की सबसे छोटी जेल कहां पर है?  तो 90 फीसदी लोग इसका जबाव नहीं जानते होंगे. आज हम आपको बताएंगे कि दुनिया की सबसे छोटी जेल कहां पर है और इसमें कितने कैदी एक साथ रह सकते हैं. 


जेल 


बता दें कि दुनियाभर में जेलों का इस्तेमाल कैदियों को रखने के लिए किया जाता है. हर जगह के जेलों की क्षमता भी अलग-अलग होती है. जैसे भारत की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ जेल है. राजधानी दिल्ली स्थिति तिहाड़ जेल भारत की सबसे बड़ी जेल है. जानकारी के मुताबिक तिहाड़ जेल का क्षेत्रफल 400 एकड़ में फैला हुआ है. वहीं इसमें 9 केंद्रीय जेल मौजूद हैं. वर्तमान समय में तिहाड़ जेल की क्षमता करीब 10 हजार कैदियों को रखने की है. हालांकि 1958 में जब इस जेल की स्थापना हुई थी, उस वक्त इसकी क्षमता सिर्फ 1,273 कैदियों की थी.


दुनिया की सबसे छोटी जेल


अब सवाल ये है कि दुनिया की सबसे छोटी जेल कौन सी है. बता दें कि सबसे छोटी जेल ब्रिटेन के सबसे छोटे आइलैंड पर बना है. इस जेल का निर्माण करीब 168 साल पहले किया गया था. ये इतना छोटा है कि इसमें सिर्फ दो कैदियों के रहने की जगह है. डेली स्टार न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक इंग्लिश चैनल में मौजूद सर्क आइलैंड पर बनी सर्क जेल को दुनिया की सबसे छोटी जेल माना जाता है.


इसका निर्माण 1856 में हुआ था. हालांकि इस जेल में सिर्फ 2 ही कैदी रह सकते हैं. उस वक्त से अभी तक इस जेल के लाइट और टॉयलेट में सिर्फ बदलाव हुआ है. बाकी सब पहले की तरह है. वहीं सर्क आइलैंड 5.4 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है. वहीं 2023 की जनगणना के मुताबिक इस आइलैंड पर सिर्फ 562 लोग रहते हैं.


क्यों बना था इतना छोटा जेल


जानकारी के मुताबिक 1832 में कोर्ट ने इस जेल को बनाने का ऑर्डर दिया था. लेकिन इसे पूरा होने में 24 साल लग गए थे, क्योंकि किसी के पास भी इसे बनाने के लिए पैसे नहीं थे. इस जेल में सिर्फ दो कमरा बन पाया था. एक कमरा 6 बाय 6 फीट का है, जबकि दूसरा 6 बाय 8 फीट का है. दोनों कमरों में लकड़ी के पतले बिस्तर हैं. इस जेल में अधिकतम 2 से 3 दिन ही कैदी को रखा जा सकता है.


हालांकि इस आइलैंड पर कोई बड़ा अपराध नहीं होता है. इस वजह से आइलैंड पर सिर्फ 2 ही पुलिसकर्मी हैं. हालांकि इस आइलैंड पर रह चुके लोगों का दावा है कि संसाधनों की कमी के कारण इस जेल का इस्तेमाल नहीं होता है. 


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