दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए आज यानी 5 फरवरी की सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हो चुका है. दिल्ली की सभी 70 सीटों पर 1.56 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मतदान केंद्र पर मौजूद चुनाव अधिकारी वोटिंग के बाद उंगलियों पर जो स्याही लगाते हैं, उसमें कौन सा केमिकल होता है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.  


क्यों लगाई जाती है चुनावी स्याही


देश में विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव में मतदान के बाद चुनाव अधिकारी बांय उंगलियों पर स्याही लगाते हैं. स्याही लगाने से ये पुष्टि हो जाती है कि उस व्यक्ति ने अपना वोट दे दिया है. वहीं इसके पीछे का दूसरा पक्ष ये है कि कोई व्यक्ति दो बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा जिस स्याही का इस्तेमाल किया जाता है, वो जल्दी नहीं छूटता है. इसलिए इसे इंडेलिबल इंक भी कहते हैं. लेकिन क्या आप भी सोचते है कि इस स्याही में ऐसा कौन सा केमिकल होता है, जो लगने के बाद ये आसानी से नहीं मिटती है.


कौनसा केमिकल होता है इस्तेमाल?


अब सवाल ये है कि चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही में कौन सा केमिकल इस्तेमाल किया जाता है. बता दें कि चुनावी स्याही बनाने के लिए सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. जानकारी के मुताबिक सिल्वर नाइट्रेट इसलिए चुना गया था, क्योंकि यह पानी के संपर्क में आने के बाद काले रंग का हो जाता है और मिटता नहीं है. 


बता दें कि जब चुनाव अधिकारी वोटर की उंगली पर नीली स्याही लगाते है, तो सिल्वर नाइट्रेट हमारे शरीर में मौजूद नमक के साथ मिलकर सिल्वर क्लोराइड बनाता है, जो काले रंग को होता है. वहीं सिल्वर क्लोराइड पानी में घुलता नहीं है और त्वचा से जुड़ा रहता है. वहीं रोशनी के संपर्क में आने से यह निशान और गहरा हो जाता है. वहीं ये चुनावी स्याही इतनी दमदार होती है कि उंगली पर लगने के एक सेकेंड के भीतर यह अपना निशान छोड़ देता है. वहीं एल्कोहल होने के कारण 40 सेकेंड से भी कम समय में यह सूख जाती है.


भारत दुनियाभर में करता है सप्लाई


चुनाव में इस्तेमाल होने वाली इस स्याही का इस्तेमाल सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के 30 से ज्यादा देशों में होता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड कंपनी द्वारा इस खास इंक 25 से ज्यादा देशों में सप्लाई की जाती है. इनमें कनाडा, घाना, नाइजीरिया, मंगोलिया, मलेशिया, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और मालदीव शामिल हैं.


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