भारत में आरक्षण एक बड़ा विषय है. आपने गौर किया होगा कि चुनाव के समय खासकर कई नेता आरक्षण को लेकर अलग-अलग बयान देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के अलावा दुनियाभर में किन-किन देशों में आरक्षण की व्यवस्था है और वहां किस आधार पर आरक्षण दिया जाता है? जानिए दुनियाभर के किन-किन देशों में आरक्षण व्यवस्था किस आधार पर लागू है. 


आरक्षण 


भारत में जाति के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के अलावा बाकी किन देशों में आरक्षण की व्यवस्था है. बता दें कि भारत के अलावा अमेरिका, चीन, जापान, ब्राजील जैसे देशों में भी आरक्षण व्यवस्था लागू है. भारत में आरक्षण जाति के आधार पर है, वहीं अलग-अलग जातियों के लिए आरक्षण का प्रतिशत भी अलग है. लेकिन दुनियाभर के बाकी देशों में आरक्षण को लेकर नियम कुछ अलग है. आज हम आपको बताएंगे कि किन-किन देशों में आरक्षण को लेकर क्या-क्या नियम हैं.  


अमेरिका 


बता दें कि अमेरिका में भी आरक्षण व्यवस्था लागू है. अमेरिका में आरक्षण को अफर्मेटिव एक्शन कहते हैं. आरक्षण के तहत यहां नस्लीय रूप से भेदभाव झेलनेवाले अश्वेतों को कई जगह बराबर प्रतिनिधित्व के लिए अतिरिक्त नंबर दिये जाते हैं. इसके अलावा अमेरिकी मीडिया मीडिया, फिल्मों में भी अश्वेत कलाकारों का आरक्षण निर्धारित है.


कनाडा 


कनाडा में समान रोजगार का प्रविधान है. जिसके कारण वहां के सामान्य तथा अल्पसंख्यकों सभी का फायदा होता है. भारत से गए सिख इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं. कनाडा में भारतीय सिखों को भी बराबर की अवसर मिलता है. 


स्वीडन


बता दें कि स्वीडन में जनरल अफर्मेटिव एक्शन के तहत आरक्षण मिलता है. आसान भाषा में समझिए कि स्वीडन में अमेरिका की तरह ही जनरल अफर्मेटिव एक्शन के तहत अश्वेत लोगों को आरक्षण मिलता है.


ब्राजील


ब्राजील में आरक्षण को वेस्टीबुलर के नाम से जाना जाता है. इस कानून के तहत ब्राजील के संघीय विश्वविद्यालयों में 50 फीसद सीटें उन छात्रों के लिए आरक्षित कर दी गई हैं, जो अफ्रीकी या मूल निवासी गरीब परिवारों से हैं. हर राज्य में काले, मिश्रित नस्लीय और मूल निवासी छात्रों के लिए आरक्षित होने वाली सीटें उस राज्य की नस्लीय जनसंख्या के आधार पर होती हैं.


दक्षिण अफ्रीका


दक्षिण अफ्रीका में काले गोरे लोगो को समान रोजगार का आरक्षण है. वहीं अफ्रीका की क्रिकेट टीम में आरक्षण लागू किया गया है. इसके तहत राष्ट्रीय टीम में गोरे खिलाड़ियों की संख्या पांच से अधिक नहीं होनी चाहिए.


मलेशिया


मलेशिया में 60 फीसद लोग वहीं के हैं. इसके अलावा  23 फीसदी चीनी मूल के हैं और सात फीसदी भारतीय मूल के हैं. इसके अलावा बाकी लोग अन्य नस्लों के हैं. क्योंकि वहां के लोगों को पारंपरिक रूप से शिक्षा और व्यापार में पीछे रहते हैं. इस कारण उन्हें राष्ट्रीय नीतियों के तहत सस्ते घर और सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिलती है.


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