किस शव की राख ज्यादा भारी होती है, लकड़ी की चिता में जले शव की या इलेक्ट्रिक क्रीमीटोरियम की?
दुनिया से किसी अपने का जाना सबसे बड़ा दुख होता है. भारत समेत दुनियाभर में सभी धर्मों के लोगों का अंतिम संस्कार करने का तरीका अलग-अलग होता है. हिंदू धर्म में शव को जलाया जाता है.
दुनिया से किसी अपने का चले जाना सबसे बड़ा दुख होता है. लेकिन मौत एक ऐसा सत्य है, जिसे कोई झूठला नहीं सकता है. क्योंकि दुनिया का कोई अमीर हो या गरीब मौत सबकी होनी है, कुछ लोगों की मौत अल्पआयु में होती है, तो कुछ लोग 100 साल की उम्र तक जिंदा रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म में शव के जलाने के बाद उसका वजन कितना होता है.
शव की राख
बता दें कि हिंदू धर्म में जब किसी की मौत होती है तो उसकी बॉडी का अंतिम संस्कार मृत शरीर को जलाकर किया जाता है. हिंदू धर्म में इसे दाह संस्कार भी कहते हैं. हिंदू धर्म के नियमों के मुताबिक शरीर के जलने के बाद जो राख बचती है, उसका कुछ अंश लेकर उसे गंगा में प्रवाहित किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब एक इंसान की मौत होती है, उसके बाद जब उसके शरीर को जलाया जाता है, तब अंत में कितनी राख बचती है. क्या इस राख का वजन इंसान के वजन के बराबर होता है.
हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार
बता दें जब किसी इंसान के शरीर का दाह संस्कार होता है, तो उसके मृत शरीर को जला दिया जाता है. हालांकि ये भी सच है कि शरीर पूरी तरह कभी नहीं जलता है. यहां तक कि शवदाह गृहों में लगे आधुनिक मशीनों में भी शरीर पूरी तरह नहीं जल पाता है. अंतिम संस्कार के दौरान शरीर के कुछ पार्ट अधजले ही बच जाते हैं. इन्हीं अंतिम शरीर के कुछ पार्ट को उठाकर अस्थि के रूप में गंगा में विसर्जित किया जाता है. हालांकि सवाल ये है कि अगर किसी इंसान का शरीर पूरी तरह जल जाता है, तब उसके शरीर के वजन के बराबर क्या उसकी राख का भी वजन होगा. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे.
राख का वजन
वैज्ञानिकों के मुताबिक इंसान के मृत शरीर के जलने के बाद जो राख बचती है, वो शरीर के वजन का लगभग 1 से 3.5 प्रतिशत के आसपास होती है. आसान भाषा में समझिए कि अगर किसी डेड बॉडी का वजन 80 किलो है तो उसके जलने के बाद जो राख बचेगी, वो लगभग 2.8 किलोग्राम के आसपास होगी. वैज्ञानिकों के मुताबिक जब आदमी अपने पूरे शरीर में होता है, तो उसके शरीर के भीतर ढेर सारा पानी और तरह-तरह की चीजें होती हैं. लेकिन जलने के बाद ये सारी चीजें खत्म हो जाती हैं और पूरा शरीर राख के शूक्ष्म कणों में बदल जाता है. यही कारण है कि 80 किलो का मृत शरीर अंत में 2.8 किलोग्राम के राख में तब्दील हो जाता है.
आधुनिक मशीनों से दाह संस्कार
आज के वक्त बड़े शहरों में लकड़ी और प्रदूषण से बचने के लिए मौत के बाद लोग बिजली वाले दाह संस्कार का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या बिजली वाले दाह संस्कार में भी शरीर जलने के बाद राख बचते हैं. एक डाक्टर ने बताया कि असल में मशीन के अंदर लाश जलकर राख में नहीं बदलती है. हालांकि आमतौर पर जब लकड़ियों के जरिये लाश का अंतिम संस्कार होता है, तो बॉडी जलकर राख में बदल जाती है. हिंदू धर्म में लोग इसी राख को अस्थि कलश में भरकर लेकर जाते हैं. लेकिन बिजली वाले शवदाह गृह में ऐसा नहीं होता है. इसमें इंसान की बॉडी से मांस जलकर गायब हो जाता है और सिर्फ सुखी हड्डियां बच जाती है. इसके बाद इन हड्डियों को एक मशीन में डाला जाता है, जिसके अंदर इसका पाउडर बनाया जाता है. ये पाउडर मशीन में काफी तेज स्पीड से पिसता है. इसे ही राख के रूप में लोग लोग अस्थि कलश में लेकर जाते हैं.
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