कृषि में तकनीकी विकास ने किसानों को फसलों की पैदावार बढ़ाने और सब्जियों को जल्दी बड़ा करने के लिए नए उपाय प्रदान किए हैं. इनमें से एक प्रमुख उपाय है हार्मोनल इंजेक्शन का उपयोग. ऐसे में चलिए जानते हैं कि किसान आखिर कैसे इन इंजेक्शन को सब्जियों को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं और उनसे क्या होता है.


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कैसे होता है हार्मोनल इंजेक्शन का उपयोग?


किसान अलग-अलग प्रकार के हार्मोन का उपयोग करते हैं, जिनमें से कुछ का उपयोग बहुत ज्यादा होता है.


गैबरलिन (Gibberellins): यह हार्मोन पौधों के विकास को बढ़ावा देता है. इसकी मदद से सब्जियों की वृद्धि में तेजी आती है, खासकर जब उनके विकास की गति धीमी होती है.


ऑक्सिन (Auxins): यह हार्मोन जड़ विकास और फल के आकार को बढ़ाने में सहायक होता है. किसानों द्वारा इसका प्रयोग सब्जियों के तेजी से बड़े होने के लिए किया जाता है.


साइकोकिनिन (Cytokinins): यह हार्मोन कोशिकाओं के विभाजन को प्रोत्साहित करता है और पौधों के विकास को तेज करता है.


बता दें इन हार्मोनों का प्रयोग अक्सर इंजेक्शन या स्प्रे के माध्यम से किया जाता है, जिससे पौधों में तेजी से वृद्धि हो सके.


सब्जियों में कैसे लगाया जाता है इंजेक्शन?


किसानों को यह ध्यान रखना होता है कि इंजेक्शन कब और कैसे लगाना है. आमतौर पर पौधों के प्रारंभिक विकास के चरण में हार्मोन का प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा अलग-अलग सब्जियों की विभिन्न संवेदनशीलताएं होती हैं, इसलिए हर सब्जी के लिए हार्मोन का सही अनुपात और समय जरूरी है. फिर इंजेक्शन लगाने के बाद, किसानों को पौधों की वृद्धि की निगरानी करनी होती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हार्मोन का प्रभाव सकारात्मक है या नहीं.


भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने एक अध्ययन किया जिसमें यह पाया गया कि हार्मोनल इंजेक्शन का सही उपयोग सब्जियों की पैदावार को 30% तक बढ़ा सकता है. इस अध्ययन ने किसानों को इस तकनीक के प्रति जागरूक करने में मदद की है. बता दें भारत सरकार ने "कृषि अनुसंधान और विकास योजना" के तहत किसानों को हार्मोनल इंजेक्शन के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं. यह कार्यक्रम न केवल किसानों को तकनीकी जानकारी प्रदान करता है, बल्कि उन्हें स्वस्थ कृषि प्रथाओं के लिए भी प्रेरित करता है.                                                               


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